विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट से दुनिया भर के छोटे देश खौफ में हैं। विश्व बैंक ने मौजूदा पूरे दशक में मंदी की चेतावनी जारी की है। इस रिपोर्ट में कोविड-19 और रूस-यूक्रेन के बाद की परिस्थितियों का आंकलन किया गया है। यदि अमेरिका और यूरोप के रास्ते से शुरू हुई मंदी का संकट तेजी से और गहराई से फैलता है तो इसका सबसे बुरा असर विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
विश्व बैंक ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि ग्लोबल इकोनॉमी की रफ्तार साल अगले 7 साल यानि 2030 तक सबसे कम रह सकती है। तरक्की की गति तीन दशक में सबसे कम होगी। वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रोडक्टिविटी और लेबर सप्लाई को बढ़ावा देने, निवेश को बढ़ावा देने के साथ-साथ सर्विस सेक्टर की क्षमताओं को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना होगा।
आर्थिक महाशक्तियां होंगी कमजोर
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में यह चिंता व्यक्त की गई है बीते 30 साल के दौरान दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं कमजोर हुई हैं, जिसका असर मौजूदा दशक में दिशाई देगा। इससे सिर्फ विकासशील देश ही नहीं वहीं विकसित देशों की ग्रोथ की भी बलि चढ़ गई है। विश्व बैंक के अनुसार 2030 तक दुनिया की वार्षिक ग्रोथ चार प्रतिशत तक सीमित रह सकती है। वहीं मंदी गहराती है तो स्थिति और भी खराब हो सकती है।
बैंकिंग संकट ने किया आग में घी का काम
विश्व बैंक ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद स्थिति पहले से ही पेचीदा थी, वहीं रूस यूक्रेन युद्ध और बैंकिंग संकट ने स्थिति को और भी खराब कर दिया है। यूरोप के क्रेडिट सुइस और अमेरिका के सिलिकन वैली बैंक के बाद कई और भी बैंक मंदी की कगार पर आ चुके हैं। आने वाले समय में बैंकों का यह संकट वैश्विक महामारी की शक्ल अख्तियार कर सकता है। यूरोप सहित दुनिया के अन्य बड़े बैंकों में भी ताले लगने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
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