World Bank Report: दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा भारत, चीन-अमेरिका आसपास भी नहीं
विश्व बैंक के नव-नियुक्त अध्यक्ष अजय बंगा ने कहा, गरीबी को कम करने और अमीर बढ़ाने का एकमात्र तरीका रोजगार है। वृद्धि दर धीमी होने का मतलब है कि रोजगार सृजन भी मुश्किल होगा।
विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अपने अनुमान को घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। यह विश्व बैंक के जनवरी में लगाए गए पिछले अनुमान से 0.3 प्रतिशत अंक कम है। हालांकि, इसके बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा। विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, उभरती प्रमुख विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) में भारत कुल मिलाकर और प्रति व्यक्ति जीडीपी दोनों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा। वहीं, महंगाई काबू में आने और सुधारों की वजह से वित्त वर्ष 2025-26 में वृद्धि दर कुछ रफ्तार पकड़ेगी। यानी अगले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी और तेज गति से बढ़ेगी।
मंदी के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटेगी
इसके साथ ही विश्व बैंक ने मंगलवार को कहा कि भारत में निजी उपभोग और निवेश में अप्रत्याशित जुझारूपन देखने को मिल रहा है। साथ ही सेवाओं की वृद्धि भी मजबूत है। विश्व बैंक ने वैश्विक आर्थिक संभावनाओं पर अपनी ताजा रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है। इसमें कहा गया है कि 2023 में वैश्विक वृद्धि दर घटकर 2.1 प्रतिशत रहेगी, जो 2022 में 3.1 प्रतिशत रही थी। चीन के अलावा उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) में वृद्धि दर पिछले साल के 4.1 प्रतिशत से कम होकर इस वर्ष 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह वृद्धि दर में व्यापक गिरावट को दर्शाता है।
नए रोजगार के मौके सृजन करना मुश्किल होगा
विश्व बैंक के नव-नियुक्त अध्यक्ष अजय बंगा ने कहा, ‘‘गरीबी को कम करने और अमीर बढ़ाने का एकमात्र तरीका रोजगार है। वृद्धि दर धीमी होने का मतलब है कि रोजगार सृजन भी मुश्किल होगा।’’ इसके साथ ही उन्होंने कहा, "यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वृद्धि दर के अनुमान ‘नियति’ नहीं हैं। हमारे पास इसे बदलने का अवसर है, लेकिन इसके लिए हम सभी को मिलकर काम करने की जरूरत होगी।" भारतीय मूल के बंगा ने शुक्रवार को ही विश्व बैंक के अध्यक्ष का पदभार संभाल था। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वृद्धि दर में सुस्ती की वजह ऊंची मुद्रास्फीति और कर्ज की लागत बढ़ने की वजह से निजी खपत का प्रभावित होना है।
विनिर्माण क्षेत्र की स्थिति सुधर रही
विश्व बैंक ने कहा है कि भारत में 2023 की शुरुआत में वृद्धि महामारी पूर्व के दशक में हासिल स्तर से कम रही। इसकी वजह यह है कि ऊंचे मूल्य और कर्ज की लागत बढ़ने से निजी निवेश प्रभावित हुआ। हालांकि, 2022 की दूसरी छमाही में गिरावट के बाद 2023 में विनिर्माण क्षेत्र की स्थिति सुधर रही है।