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Hindi News पैसा बिज़नेस वर्ल्ड बैंक भी हुआ भारतीय अर्थव्यवस्था का मुरीद, कहा- इन 2 कारणों से इंडिया की इकोनॉमी में नहीं आएगी सुस्ती

वर्ल्ड बैंक भी हुआ भारतीय अर्थव्यवस्था का मुरीद, कहा- इन 2 कारणों से इंडिया की इकोनॉमी में नहीं आएगी सुस्ती

वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले कुछ साल इस वृद्धि दर को आसानी से बनाए रख सकते हैं।'' भारत की जीडीपी वृदि दर 2022-23 में 7.2 फीसदी रही थी, जो 2021-22 के 9.1 फीसदी से कम है। हालांकि, कच्चे तेल में उछाल से भारत का चालू खाता घाटा बढ़ा है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 1

वर्ल्ड बैंक- India TV Paisa Image Source : AP वर्ल्ड बैंक

वर्ल्ड बैंक भी भारतीय अर्थव्यवस्था का मुरीद हो गया है। वर्ल्ड बैंक ने मंगलवार को अपनी जारी एक रिपोर्ट में कहा कि निवेश और घरेलू मांग के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष में 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। रिपोर्ट के अनुसार, चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल की पृष्ठभूमि में भारत लगातार लचीलापन दिखा रहा है। विश्व बैंक की भारत की वृद्धि से जुड़ी अद्यतन जानकारी के अनुसार, भारत जो दक्षिण एशिया क्षेत्र का बड़ा हिस्सा है, वहां 2023-24 में वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यानी भारतीय अर्थव्यवस्था पर ग्लोबल सुस्ती का असर नहीं होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। आपको बता दें कि अर्थव्यवस्था में तेजी से रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे लोगों की आय बढ़ेगी।

बढ़ी महंगाई से भी मिलेगी राहत 

महंगाई पर रिपोर्ट में कहा गया कि खाद्य पदार्थों की कीमतें सामान्य होने और सरकारी कदमों से प्रमुख वस्तुओं की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलने से इसके धीरे-धीरे कम होने की उम्मीद है। अभी देश में खुदरा महंगाई 6 फीसदी के पार है। यह आरबीआई के लक्ष्य से अधिक है। इससे रेपो रेट में कटौती नहीं हो रही है। हालांकि, महंगाई घटने के बाद रेपो रेट में कटौती होगी, जिससे लोगों की लोन की ईएमआई में कमी आएगी। 

वैश्विक महामारी से पहले की गति से धीमी

विश्व बैंक ने कहा कि दक्षिण एशिया की वृद्धि दर इस साल 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जो दुनिया के किसी भी अन्य विकासशील देशों के क्षेत्र की तुलना में अधिक है। हालांकि, यह वैश्विक महामारी से पहले की गति से धीमी है और विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दृष्टि से पर्याप्त नहीं है। विश्व बैंक के उपाध्यक्ष (दक्षिण एशिया क्षेत्र) मार्टिन रायसर ने कहा, ‘‘ पहली नजर में दक्षिण एशिया वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक उज्ज्वल स्थल है। विश्व बैंक का अनुमान है कि यह क्षेत्र अगले कुछ वर्षों में किसी भी अन्य विकासशील देश क्षेत्र की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ेगा।’’ कमजोर विदेशी मांग के परिणामस्वरूप माल निर्यात की वृद्धि धीमी होने का अनुमान है, हालांकि मजबूत सेवा निर्यात से इसकी भरपाई हो जाएगी। रोजगार संकेतक कमजोर रहे हैं, हालांकि उचित नीतियों के साथ देश की आर्थिक वृद्धि अधिक रोजगार का सृजन कर सकती है। 

जीडीपी वृद्धि दर 2023-24 में 6.5 प्रतिशत रहेगी

नीति आयोग के पूर्व वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर लगभग 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले नौ साल में जो सुधार किए हैं, उससे देश की व्यापक आर्थिक स्थिति को फायदा हो रहा है। कुमार ने यह भी कहा कि भारत को आठ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की जरूरत है और देश ऐसा करने में सक्षम है। देश की युवा आबादी की आकांक्षाओं को पूरा करने और अपने कार्यबल के लिए पर्याप्त नौकरियां पैदा करने के लिए आर्थिक वृद्धि को इस स्तर पर लाना जरूरी है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 फीसदी रह सकती है। 

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