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Wipro ने ईमेल भेजकर एक झटके में आधी कर दी सैलरी, 6.5 लाख से घटाकर 3.5 लाख रुपए किया सालाना पैकेज

विप्रो के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। आईटी कर्मचारियों के यूनियन NITES ने कंपनी के इस फैसले का विरोध किया है

Wipro ने आधी कर दी सैलरी- India TV Paisa Image Source : FILE Wipro ने आधी कर दी सैलरी

Wipro: आपको कैसा लगे कि एक सुबह आपकी कंपनी से ईमेल आए और बैठे ठाले आपकी सैलरी में 50 प्रतिशत की कटौती कर दी जाए। पूरा भरोसा है आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। देश की दिग्गज आईटी कंपनी विप्रो के नए कर्मचारियों का यही हाल है। मार्च से इन रंगरूटों को नियुक्ति मिलनी थी। इससे पहले कंपनी ने फ्रेशर्स के सालाना सैलरी पैकेज को 6.5 लाख से घटाकर 3.5 लाख रुपए कर दिया है। ये फ्रेशर्स कंपनी 2023 में कंपनी के वेलोसिटी ग्रेजुएट प्रोग्राम को पास करने के बाद नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे। 

कर्मचारी यूनियन कर रहा विरोध

इस बीच विप्रो के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। आईटी कर्मचारियों के यूनियन NITES ने कंपनी के इस फैसले का विरोध किया है और इस तरह के फैसलों को अन्यायपूर्ण और अस्वीकार्य बताया है। यूनियन ने कंपनी से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा है।

एक ईमेल और सैलरी हो गई आधी 

विप्रो ने इन केंडिडेट्स को कल एक ईमेल भेजा है। इसमें फ्रेशर्स को आर्थिक कारणों से कम वेतन के लिए समझौता करने के लिए कहा गया है। विप्रो ने एक धमकी भरे अंदाज में कर्मचारियों से कहा ​है कि 6.5 लाख रुपये सालाना सैलरी की पूर्व पेशकश में कटौती की जा रही है। यदि उन्हें 3.5 लाख रुपये का पैकेज स्वीकार्य है तो ठीक है, नहीं तो उन्हें भविष्य में नियक्ति का इंतजार करना होगा। 

800 कर्मचारियों को निकाल भी चुका है विप्रो

इससे पहले पिछले महीने विप्रो ने इंटरनल टेस्ट में फेल होने वाले 800 फ्रेशर्स को निकाल दिया था। हालांकि, कंपनी का कहना है कि उसने 452 कर्मचारियों को टर्मिनेट किया है। इसके अलावा इंफोसिस भी इंटरनल टेस्ट में फेल होने पर 600 एम्प्लॉइज को नौकरी से निकाल चुकी है। रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले FA टेस्ट में फेल होने के बाद इन्हें नौकरी से निकाला गया है। हालांकि, अब तक कंपनी की तरफ से इसको लेकर कोई बयान नहीं आया है।

अन्य कंपनियों में भी शुरू हो सकता है ट्रेंड

विप्रो देश की दिग्गज आईटी कंपनियों में से एक है। अभी तक आईटी कंपनियां नई भर्तियां रोक रही थीं या फिर कर्मचारियों की छंटनी कर रही थीं। विप्रा द्वारा उठाया गया यह कदम एक नए ट्रेंड की ओर इशारा कर रही हैं। विप्रो और इंफोसिस के बाद देश की अन्य आईटी कंपनियां भी इसी ढर्रे पर चलते हुए ​कर्मचारियों का शोषण कर सकती हैं। 

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