सरकार ने भारत से निर्यात होने वाले डीजल पर विंडफॉल टैक्स में कटौती कर दी है। सरकार ने डीजल निर्यात पर अप्रत्याशित लाभ कर को 0.50 रुपये प्रति लीटर कर दिया है। लेकिन इस कटौती का फायदा आम लोगों को नहीं मिलेगा। यह निर्णय सिर्फ डीजल निर्यात करने वाली कंपनियों जैसे ओएनजीसी और रिलायंस को मिलेगा। इसी के साथ सरकार ने विमान ईंधन एटीएफ पर लगने वाले कर को शून्य कर दिया है। सरकार की तरफ से शुक्रवार रात को जारी एक आदेश में यह जानकारी दी गई।
सरकार ने एक अहम निर्णय में घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर लगने वाले शुल्क में हल्की वृद्धि करने का भी फैसला किया गया है। इस आदेश के मुताबिक, ओएनजीसी जैसी तेल उत्पादक कंपनियों के कच्चे तेल उत्पादन पर लगने वाले शुल्क को 4,350 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 4,400 रुपये प्रति टन कर दिया गया है। जमीन एवं समुद्र के भीतर से उत्खनित कच्चे तेल का शोधन कर उसे पेट्रोल, डीजल एवं विमान ईंधन जैसे अलग-अलग ईंधनों में परिवर्तित किया जाता है।
सरकार ने डीजल के निर्यात पर लगने वाले कर में भी कटौती कर उसे 2.5 रुपये प्रति लीटर से घटाकर 0.5 रुपये प्रति लीटर कर दिया है। यह डीजल के निर्यात पर लगने वाला न्यूनतम अप्रत्याशित लाभ कर है। इसके अलावा निर्यात किए जाने वाले विमान ईंधन पर लगने वाले कर को 1.50 रुपये प्रति लीटर से घटाकर शून्य कर दिया गया है।
आदेश के मुताबिक, नई कर दरें चार मार्च की तारीख से प्रभावी हो गई हैं। यह घरेलू ईंधनों पर कर कटौती का एक पखवाड़े में दूसरा मौका है। इसके पहले 16 फरवरी को भी ईंधनों पर लगने वाले कर में कटौती की गई थी। दरअसल हर पखवाड़े में इन कर दरों की समीक्षा कर जरूरी संशोधन किए जाते हैं। सरकार ने गत वर्ष जुलाई में पहली बार तेल उत्पादक कंपनियों पर अप्रत्याशित लाभ कर लगाया था।
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