काफी कोशिशों के बाद आखिरकार पाकिस्तान को आईएमएफ से कर्ज मिल ही गया। IMF के बोर्ड ने पाकिस्तान के लिए 7 अरब डॉलर का नया कर्ज मंजूर कर दिया है। लेकिन पड़ोसी देश की मुसीबतें अभी खत्म नहीं हुई हैं। पाकिस्तानी अर्थशास्त्रियों के अनुसार, यह सौदा सिर्फ तत्काल ऋणों का भुगतान करने में ही मदद करेगा, इससे अधिक कुछ नहीं। पाकिस्तान ने कहा है कि कर्ज को मंजूरी मिलने के बाद अब उसे Transitional pain से गुजरना होगा। हालांकि, पाकिस्तान की इकोनॉमी, जो पिछली गर्मियों में दिवालिया होने की कगार पर आ गई थी, अब स्टेबल हो गई है। पाकिस्तान की इकोनॉमी आईएमएफ के बेलआउट पैकेजेज और अपने मित्र देशों से मिले कर्ज पर निर्भर है। हालात यह है कि इस कर्ज का ब्याज चुकाने में ही पाकिस्तान के सालाना राजस्व का आधा हिस्सा खत्म हो जाता है।
सऊदी अरब, चीन और UAE के सपोर्ट से हुई डील
पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने लोकल मीडिया से कहा, 'इस कर्ज से ट्रांजिशनल पेन होगा। लेकिन अगर हमें इसे लास्ट प्रोग्राम बनाना है, तो हमें स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स करने होंगे।' आईएमएफ ने एक बयान में कहा था कि वह लगभग 1 अरब डॉलर तत्काल रूप से जारी कर देगा। प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि यह सौदा सऊदी अरब, चीन और संयुक्त अरब अमीरात के "जबरदस्त सपोर्ट" के कारण हुआ है।
पाकिस्तान को चुकाना होगा भारी-भरकम ब्याज
पाकिस्तानी वित्त मंत्री इस कर्ज में ट्रांजिशनल पेन की बात इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि अब देश को आईएमएफ की शर्तों पर चलना होगा। साथ ही भारी-भरकम ब्याज भी चुकाना होगा। शरीफ ने कहा, 'डील की बातचीत के आखिरी चरण में आईएमएफ की शर्तें चीन से संबंधित थीं जिस तरह से चीनी सरकार ने इस दौरान हमारा समर्थन किया और हमें मजबूत किया, उसके लिए मैं वास्तव में आभारी हूं।
सिर्फ लोन चुकाने में मदद करेगा यह कर्ज
पाकिस्तानी अर्थशास्त्री कैसर बेंगाली ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, "यह सौदा हमें अपने तत्काल ऋणों का भुगतान करने में मदद करेगा, लेकिन इससे अधिक कुछ नहीं। केवल एक आर्थिक सुधार जिसे हमें लागू करने की जरूरत है, वह है अधिक टैक्स। सरकारी खर्च कम करने के मामले में भी कोई प्रगति नहीं हुई है।"
पाकिस्तान पर चीन का सबसे अधिक कर्ज
आईएमएफ के अनुसार, साल 2023 के आखिर तक पाकिस्तान पर कुल 250 अरब डॉलर से अधिक या जीडीपी का 74 प्रतिशत कर्ज था। इसमें लगभग 40 प्रतिशत कर्ज विदेशी मुद्रा में विदेशी कर्जदाताओं से लिया गया है। पाकिस्तान को सबसे अधिक कर्ज चीन और चीनी बैंकों ने दिया है। यह कर्ज 30 अरब डॉलर के करीब है। इसके बाद वर्ल्ड बैंक 20 अरब डॉलर का कर्ज दे चुका है।
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