महिलाओं को खुद के नाम प्रॉपर्टी क्यों खरीदनी चाहिए? जानें ये 5 बड़ी वजह, मिलते हैं बड़े फायदे
टैक्स कटौती पुरुषों और महिलाओं के लिए समान है, लेकिन ज्वाइंट ओनरशिप अलग-अलग टैक्स कटौती का दावा करने की परमिशन देता है। भारत में महिलाओं को आसानी से संपत्ति खरीदने में मदद करने के लिए सरकारी की भी स्कीम है।
भारत में ऐसा देखा जाता रहा है कि संपत्ति का स्वामित्व पारंपरिक रूप से परिवार के पुरुष सदस्य के नाम पर रहा है। लेकिन मौजूदा समय में इसमें बदलाव दिखने लगा है। भारत में आज के समय में कामकाजी महिलाओं की तादाद काफी बढ़ी है। यही वजह है कि आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर और सक्षम होने की वजह से आज ज्यादातर महिलाएं अपने नाम पर संपत्ति खरीद रही हैं। जब महिलाएं अपने नाम पर प्रॉपर्टी (संपत्ति) खरीदती हैं या संयुक्त रूप से खरीदती हैं तो परिवार को कई दूसरे बेनिफिट मिलते हैं। महिला के नाम पर संपत्ति खरीदने के फायदे और सरकार की तरफ से बेनिफिट पर आइए यहां चर्चा करते हैं।
ब्याज दर में बेनिफिट
घर खरीदने के लिए होम लोन पर आप जो ब्याज दर चुकाते हैं, वह बहुत अहम है। ब्याज दर पर कुछ प्रतिशत की बचत आपको लंबे समय में लाखों रुपये बचा सकती है। महिलाओं को होम लोन की ब्याज दरों पर इसका फायदा मिलता है। उनके लिए ब्याज दरें कम होती हैं। यह एक प्रतिशत तक कम हो सकती हैं। कम ब्याज होने पर इसके फायदे को उदाहरण से समझ सकते हैं।
मान लीजिए 50 लाख रुपये का एक होम लोन है जिस पर पुरुषों के लिए 9 प्रतिशत है और महिलाओं के लिए 8 प्रतिशत। लोन की अवधि 20 साल है। अब इसको अगर कैलकुलेट करें तो 9% ब्याज दर पर मासिक किस्त करीब 48,871 रुपये बनेगी। इस तरह, 20 साल में इस आधार पर चुकाया कुल ब्याज 57,29,040 रुपये होगा। लेकिन जब 8% ब्याज दर पर कैलकुलेट करें तो मासिक किस्त करीब 46,096 रुपये बनती है। 20 सालों में चुकाया जाने वाला कुल ब्याज 40,65,504 रुपये होगा। इस तरह, ब्याज दर में सिर्फ 1% की कमी से आप 20 सालों में 10,73,536 रुपये बचा सकते हैं।
स्टाम्प ड्यूटी पर बचत
भारत में अधिकांश राज्यों में महिला खरीदारों के लिए स्टाम्प ड्यूटी कम है। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के मुताबिक, उदाहरण के लिए, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में स्टाम्प ड्यूटी में लगभग 2% का अंतर है। झारखंड में महिलाओं को सिर्फ 1 रुपये स्टाम्प ड्यूटी देनी पड़ती है। स्टाम्प ड्यूटी खरीद राशि पर लगती है। ऐसे में अगर आप 50 लाख रुपये की संपत्ति खरीदते हैं, तो एक प्रतिशत की बचत काफी मायने रखती है।
लोन के लिए पात्रता
एक महिला बैंकों से ज्यादा लोन हासिल कर सकती हैं। लोन अमाउंट खरीदार की सैलरी के आधार पर निर्धारित की जाती है। अगर महिलाएं सह-खरीदार हैं, तो दोनों भागीदारों की सैलरी एक साथ जोड़ दी जाती है और पात्रता खुद ही बढ़ जाती है।
प्रधानमंत्री आवास योजना में पात्रता
भारत में महिलाओं को आसानी से संपत्ति खरीदने में मदद करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) शुरू की गई है। इस स्कीम के नियमों के मुताबिक, उक्त संपत्ति की कम से कम एक महिला मालिक होनी चाहिए, और 2.67 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाती है। केंद्र सरकार इन वर्गों की महिलाओं को 6.5% ब्याज सब्सिडी देकर समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और निम्न आय वर्ग के उत्थान की दिशा में काम कर रही है। कोई भी महिला अपनी वैवाहिक स्थिति की परवाह किए बिना पीएमएवाई का लाभ उठा सकती है।
टैक्स बेनिफिट भी मिलता है
टैक्स कटौती पुरुषों और महिलाओं के लिए समान है, लेकिन ज्वाइंट ओनरशिप अलग-अलग टैक्स कटौती का दावा करने की परमिशन देता है। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के मुताबिक, पहली बार घर खरीदने वाली महिलाएं धारा 80EE के तहत दूसरे क्लेम के अलावा भुगतान किए गए मूलधन पर 50,000 रुपये का दावा कर सकती हैं।