RBI Policy: देश में महंगाई को लेकर समय-समय पर चर्चाएं होती है। विपक्षी पार्टी के कई नेता इसे लेकर सवाल भी करते हैं। एक बार फिर से महंगाई को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है। इसका सीधे तौर पर संबंध रेपो रेट से होता है। अधिकतर लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है। बैंक से कार, पर्सनल या होम लोन लेने वालों के ऊपर इसका असर होता है। अगर आप भी लोन लेने के बाद ईएमआई चुका रहे हैं तो इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है। आरबीआई के द्वारा रेपो रेट में कमी और बढ़ोतरी करने से ईएमआई की दरें कम और ज्यादा होती है।
रेपो रेट बढ़ाने का कारण है महंगाई पर काबू पाना
देश में बढ़ती महंगाई के कारण कई बार लोगों को जरूरत की चीजें खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं। रिजर्व बैंक (RBI) रेपो रेट में बढ़ोतरी कर इसी महंगाई पर काबू पाने की कोशिश करते हैं। जनता पर ज्यादा बोझ नहीं पड़े इसके लिए भी काफी ध्यान रखा जाता है। आमतौर पर 0.50 या इससे कम की बढ़ोतरी की जाती है। कोविड के समय में इसमें सबसे ज्यादा 4 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई थी। इसकी वजह से होम, कार और पर्सनल लोन की ब्याज दरें भी बढ़ जाती है।
रेपो रेट घटाने की ये है बड़ी वजह
आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कमी लाने की वजह से होम लोन कार लोन और पर्सनल लोन की दरें भी कम हो जाती है। रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस पर आरबीआई अलग-अलग बैंकों को कर्ज देता है। इसका सीधे तौर पर संबंध लोन से है। बैंकों को पैसा रखने के लिए आरबीआई ब्याज देने का काम करती है इसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। इसका सीधे तौर पर संबंध महंगाई से है। आरबीआई समय के अनुसार इसमें बदलाव करती रहती है।
रेपो रेट में बढ़ोतरी होने से जनता पर इस तरह बढ़ता है बोझ
रेपो रेट में इजाफा होने की वजह से लोन लेने वाले लोगों को ईएमआई देने में परेशानी होती है। दरअसल इससे ब्याज दरें बढ़ जाती है। आरबीआई लोगों को ध्यान में रखते हुए ही जिसकी दरें बढ़ाने का काम करते हैं। जो लोग किसी कारण से ईएमआई नहीं दे पाते हैं उन्हें कुछ महीने के लिए रियायत भी दी जाती है। कोविड के समय में लॉकडाउन लग जाने के कारण आमदनी नहीं होने पर कई लोगों को ईएमआई भरने में रियायत दी गई थी।
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