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SBI, Axis, ICICI Bank समेत तमाम बैंकिंग स्टॉक्स में तेजी क्यों? CLSA की रिपोर्ट से पता चला कारण

रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले एक दशक में भारतीय बैंक की बैलेंस शीट काफी मजबूत हुई है और मुनाफा चार गुना तक बढ़ गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि नॉन-परफॉर्मिंग लोन (नेट एनपीएल), जो पहले भारतीय बैंकिंग सेक्टर पर एक बड़ा बोझ था, यह बीते एक दशक में काफी नीचे चला गया है।

Banking Stocks - India TV Paisa Image Source : FILE बैंकिंग स्टॉक्स

SBI, Axis, ICICI Bank समेत तमाम बैंकिंग स्टॉक्स में पिछले लंबे समय से तेजी जारी है। एसबीआई के शेयर ने एक साल में 47% का शानदार रिटर्न दिया है। एक्सिस बैंक के शेयर ने 22% तो आईसीआईसीआई के शेयर ने 20% का रिटर्न दिया है। छोटे सरकारी बैंक की बात करें तो उसमें बंपर रिटर्न मिला है। आखिर क्या वजह है कि बैंकिंग स्टॉक्स में तेजी बनी हुई है। दरअसल, भारतीय बैंकों के मुनाफे में पिछले 10 वर्षों में 4 गुना का इजाफा हुआ है। 

इसके साथ ही खराब लोन की संख्या में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। ये जानकारी इन्वेस्टमेंट ग्रुप सीएलएसए की रिपोर्ट में दी गई है। मुनाफा बढ़ने और एनपीए घटने का असर बैंकिंग स्टॉक्स पर देखने को मिल रहा है। इसलिए तेजी बनी हुई है। मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि यह तेजी आगे भी बनी रहने की उम्मीद है। 

बैंकों की बैलेंस शीट काफी मजबूत हुई 

रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले एक दशक में भारतीय बैंक की बैलेंस शीट काफी मजबूत हुई है और मुनाफा चार गुना तक बढ़ गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि नॉन-परफॉर्मिंग लोन (नेट एनपीएल), जो पहले भारतीय बैंकिंग सेक्टर पर एक बड़ा बोझ था, यह बीते एक दशक में काफी नीचे चला गया है। इससे एसेट्स क्वालिटी में काफी सुधार हुआ है और बैंकों की कैपिटल पॉजिशन भी काफी अच्छी हो गई है। डिपॉजिट वृद्धि दर लोन वृद्धि दर जितनी ही होनी चाहिए। यह वित्त वर्ष 2012-22 के दौरान पिछले दो वर्षों में यह औसतन 10 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत हो गई है।
सरकारी बैंकों ने प्राइवेट बैंकों को पीछे छोड़ा 

रिपोर्ट में कहा गया कि बीते पांच वर्षों में सरकारी बैंकों ने निजी बैंकों की अपेक्षा काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। हालांकि, पिछले एक दशक में चालू खाते के मामलों में निजी बैंकों ने सरकारी बैंकों को पछाड़ दिया है और गैर-जमा उधार में भी कमी आई है।

लोन वृद्धि दर में बढ़ोतरी हुई 

सीएलएसए रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले दो वर्षों में सभी सब-सेगमेंट और संभवतः कॉरपोरेट बॉन्ड प्रतिस्थापन से कुछ बदलावों के कारण सेक्टर में लोन वृद्धि दर अपने दशकीय औसत 10 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत हो गई है। लंबे समय से लोन वृद्धि दर और डिपॉजिट वृद्धि दर में तालमेल बना रहा है। पिछले 5 से 7 वर्षों में कॉरपोरेट क्रेडिट की क्वालिटी में सुधार हुआ है।

इनपुट: आईएएनएस

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