Indian Train Name Selection Process: भारतीय रेलवे रेल मंत्रालय के तहत काम करता है। यात्रियों की सुगम यात्रा संपन्न कराने के लिए प्रतिदिन लगभग हजारों ट्रेनें चलाता है। ऐसा माना जाता है कि भारतीय रेलवे अपने मार्ग की लंबाई के मामले में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी राष्ट्रीय रेलवे प्रणाली का प्रबंधन करती है। इंडियन रेलवे से जितने लोग एक दिन में सफर करते हैं, उतनी कई देशों की आबादी भी नहीं है। देश की रेलवे का काफी लंबा-चौड़ा इतिहास रहा है। मुसीबत के समय में रेलवे एक अच्छा पड़ोसी का किरदार निभाता है। देश जब कोरोना महामारी से जूझ रहा था तब इसी रेलवे ने माल ढुलाई और पब्लिक को उसके घर तक पहुंचाने में मदद की थी। जब किसी देश की रेल व्यवस्था डगमगाती है तो उसका सीधा असर उसकी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। भारत की अर्थव्यवस्था में इस पड़ोसी के योगदान के किस्सों से अलग इसका नाम कैसे रखा जाता है। ऐसे में इस पड़ोसी का नाम रखने के लिए सरकार किस फॉर्मूले पर काम करती है। आइए जानते हैं।
इन बातों पर गौर करती है सरकार
अधिकांश लंबी दूरी की यात्रा ट्रेनों का नाम ट्रेन खुलने और बंद होने के जगह के नाम पर रखा जाता है, हालांकि, राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस और दुरंतो एक्सप्रेस सहित कुछ अन्य ट्रेनें ऐसी भी हैं, जो इस नियम को फॉलो नहीं करती हैं। क्योंकि इन ट्रेनों का नाम कुछ विशेष प्रायोजन के चलते रखा गया है। अगर हम शताब्दी एक्सप्रेस की बात करें तो इसके पीछे की कहानी ये है कि 1989 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के 100वें जन्मदिन पर इसकी शुरुआत हुई थी, इसलिए इसका नाम शताब्दी एक्सप्रेस रखा गया है। वहीं जो राजधानी एक्सप्रेस है उसका नाम इसलिए राजधानी एक्सप्रेस पड़ा क्योंकि ये राज्य की राजधानियों को जोड़ती है। इस ट्रेन की अधिकतम गति 140 किलोमीटर प्रति घंटा है।
ये तीन प्वाइंट नाम रखने के लिए होते हैं मुख्य जिम्मेदार
- ट्रेन के खुलने और उसके आखिरी स्टॉप वाले स्टेशन के नाम पर उसका नाम तय कर दिया जाता है।
- ट्रेन जहां से बनकर खुलती है, अगर वहां पर कोई धरोहर है या कोई महान व्यक्ति पैदा हुआ है तो उसके नाम पर ट्रेन का नाम रख दिया जाता है।
- त्योहार और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सरकार ट्रेन का नाम तय कर देती है ताकि ट्रेन जहां से भी गुजरे लोग ट्रेन के साथ उसकी भी चर्चा करें।
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि कई बार सरकार अचानक से इन सभी नियमों से दूर एक ऐसा नाम तय कर देती है, जिसका कुछ मतलब नहीं निकल पाता है। ऐसे में उसे यह समझा जाता है कि सरकार कोई स्पेशल कैटगरी की ट्रेन के लिए उस नाम को तय कर रही है। वंदे भारत नाम भी सरकार के एक ऐसे मिशन को इंडिकेट करता है, जो कम समय में गंतव्य स्थान को पहुंचाने का कार्य करती है। रूस-यूक्रेन वार के दौरान सरकार ने वंदे भारत मिशन चलाया था ताकि कम समय में अधिक से अधिक भारतीय को वहां से बचा कर इंडिया लाया जा सके।
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