कोरोना महामारी और उसके बाद आसमान छूती महंगाई ने आम आदमी का बुरा हाल कर रखा है। आंकड़ों पर गौर करें तो 2012 से 2022 के बीच खाने-पीने की वस्तुओं के दामों में दोगुनी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। गौर करने लायक बात है कि भारत दुनिया में सबसे अधिक साग-सब्जी पैदा करने के मामले में दूसरे स्थान पर है। बावजूद इसके, देश में सब्जियों के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई। इससे कम आर्य वर्ग को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार के मुताबिक, अप्रैल में खुदरा महंगाई (CPI) पर आधारित खुदरा महंगाई दर 7.79% रही जो 8 साल का उच्चतर स्तर है।
इस तरह महंगाई की गणना
जरूरी सामान की कीमतें जिस दर से बढ़ती है उसे महंगाई कहते हैं। भारत में, इसे साल-दर-साल मापा जाता है, जिसका अर्थ है कि एक महीने की कीमतों की तुलना पिछले साल के उसी महीने की कीमतों से की जाती है। इससे हम अंदाजा लगा पाते हैं कि किसी जगह पर समय अवधि में रहन सहन की कीमतें कितनी बढ़ती हैं। अगर जनवरी 2014 और मार्च 2022 के बीच खाद्य कीमतें हर महीने 4.483 % बढ़ी। इसका मतलब हुआ कि अगर जनवरी 2013 में कोई फूड प्रोडक्ट 100 रुपये में आता था तो अब उसकी कीमत बढ़कर लगभग 170 रुपये हो गई है।
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