Health insurance: बढ़ती महंगाई के बीच इलाज पर होने वाले खर्च को बचाने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना बहुत जरूरी है। लोगों के बीच इसे लेकर धीरे-धीरे जागरूकता भी बढ़ रही है। अधिकतर लोग परिवार के मुखिया या फिर कामकाजी लोगों के नाम पर हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं। क्या आप भी अपने परिवार में किसी के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने की सोच रहे हैं? इससे पहले सब लिमिट को समझना जरूरी है। इससे आपको पॉलिसी क्लेम करते समय दिक्कतें नहीं आएंगी। यहां जानिए हेल्थ इंश्योरेंस में सब लिमिट और इसकी नियम और शर्तें।
हेल्थ इंश्योरेंस में सब लिमिट क्या है
किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस में सब लिमिट को चेक करना बेहद जरूरी है। पॉलिसी को लेते समय आपको कई तरह की नियम और शर्तें के बारे में जानकारी दी जाती है। आमतौर पर इंश्योरेंस कंपनी इसके बारे में ज्यादा खुलकर मुखर रूप से नहीं बताती है। लोग भी जल्दी बाजी में कागज ध्यान से पढ़ना जरूरी नहीं समझते हैं। किसी भी इंश्योरेंस पॉलिसी के अनुसार मिलने वाली यह एक कवरेज राशि है, जिसे सब लिमिट कहते हैं। इंश्योरेंस पॉलिसी में क्रिटिकल बीमारियों के अलावा सब लिमिट की सुविधाएं मिलती है। कई कंपनियां इसे सम-एश्योर्ड प्रतिशत के तौर पर दिखाती है।
उदाहरण के साथ समझें हेल्थ इंश्योरेंस सब लिमिट
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में सब लिमिट को उदाहरण के साथ आसानी से समझ सकते हैं। अगर इंश्योरेंस पॉलिसी में इसकी कुल राशि 5 लाख रुपये तक है तो आपको इसमें लगभग 50 हजार रुपये सब लिमिट देखने को मिलेंगे। ऐसी स्थिति में बीमार होने पर अस्पताल में भर्ती होने के बाद लगभग 1 लाख बिल आने के बाद इंश्योरेंस कंपनियां केवल 50 हजार रुपये भुगतान करती है। ठीक इसी प्रकार अगर इंश्योरेंस पॉलिसी में सर्विस कि सब लिमिट 2% है तो आप इसी अनुसार इसे क्लेम कर पाएंगे।
हेल्थ इंश्योरेंस लेने के दौरान ध्यान रखने वाली बातें
कभी भी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को लेते समय सभी नियम और शर्तें ध्यान से पढ़ें। इसके अलावा सब लिमिट के बारे में आप विस्तार से जानकारी ले सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़ी कई शब्दावली है जिसे समझने के बाद आप पॉलिसी को आसानी से समझ सकेंगे। इसे क्लेम करते समय आपको किसी तरह की परेशानी नहीं हो इसके लिए भी आपको हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।
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