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Hindi News पैसा बिज़नेस बजट 2024 में क्या निर्मला सीतारमण देंगी टैक्सपेयर्स को ये 4 बड़े तोहफे?

बजट 2024 में क्या निर्मला सीतारमण देंगी टैक्सपेयर्स को ये 4 बड़े तोहफे?

Budget 2024 Expectations from tax payers : आयकर दाताओं की मांग है कि सरकार ओल्ड टैक्स रिजीम को खत्म ना करे और टैक्स फ्री इनकम को बढ़ाकर 8 लाख कर दे। करदाता 80डी डिडक्शन लिमिट को भी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

बजट 2024- India TV Paisa Image Source : FILE बजट 2024

Budget 2024 Expectations : देश का बजट आने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेंगी। चुनावी साल होने के चलते इस बार पूर्ण बजट नहीं आएगा। जो नई सरकार चुनकर आएगी, उसकी पूर्ण बजट पेश करने की जिम्मेदारी होगी। देश के करदाताओं को इस अंतरिम बजट से काफी उम्मीदें हैं। हर बार टैक्सपेयर्स यह उम्मीद करते हैं कि सरकार बजट में टैक्स को लेकर कुछ राहत दे। आइए जानते हैं कि इस बार टैक्सपेयर्स क्या उम्मीदें लगाए बैठे हैं।

खत्म ना हो ओल्ड टैक्स रिजीम

टैक्सपेयर वित्त मंत्री से यह उम्मीद लगाए बैठे हैं, कि वे ओल्ड टैक्स रिजीम को खत्म ना करें। टैक्सपेयर्स को आशंका है कि सरकार नए टैक्स रिजीम के आने के बाद ओल्ड टैक्स रिजीम को खत्म कर सकती है। ऐसे में करदाताओं की डिमांड है कि ओल्ड टैक्स रिजीम को लागू रखा जाए।

बढ़ाई जाए 80डी डिडक्शन लिमिट

टैक्सपेयर्स की डिमांड है कि सेक्शन 80डी के तहत इंडिविजुअल के लिए मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम में डिडक्शन लिमिट (80D deduction limit) 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये की जाए। वहीं, सीनियर सिटीजंस के लिये इस लिमिट को बढ़ाकर 50 हजार से 75 हजार रुपये किया जाए।

टैक्स फ्री स्लैब का हो विस्तार

कई वेतनभोगी कर्मचारी टैक्स फ्री स्लैब में विस्तार की उम्मीद कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि सरकार 8 लाख तक सालाना सैलरी को टैक्स फ्री कर दे। इस समय टैक्सपेयर्स नए टैक्स रिजीम में 7 लाख तक के सालाना वेतन पर टैक्स देनदारी से बच जाते हैं।

कैपिटल गेन टैक्स को किया जाए सरल

लोगों की मांग है कि कैपिटल गेन टैक्स का सरलीकरण किया जाए। मौजूदा कैपिटल गेन टैक्स रिजीम (capital gains taxation) की जटिलता से निवेशक परेशान रहते हैं। इसमें एसेट क्लास, होल्डिंग पीरियड, टैक्स रेट्स और निवास स्थिति जैसे कई फैक्टर्स कंसीडर करने होते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट्स के वर्गीकरण को सुव्यवस्थित करना चाहिए। लिस्टेड और अनलिस्टेड सिक्युरिटीज के लिए टैक्स ट्रीटमेंट को एकीकृत करना चाहिए। साथ ही इंडेक्सेशन प्रावधानों को भी सरल बनाना चाहिए।

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