A
Hindi News पैसा बिज़नेस मूडीज ने भारत में जल की कमी को लेकर किया आगाह, कहा- कृषि और उद्योग क्षेत्र को कर सकती है प्रभावित

मूडीज ने भारत में जल की कमी को लेकर किया आगाह, कहा- कृषि और उद्योग क्षेत्र को कर सकती है प्रभावित

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पानी की कमी बढ़ती जा रही है, क्योंकि तेज आर्थिक वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के कारण लगातार बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं के बीच पानी की खपत बढ़ रही है।

जल की कमी से खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं।- India TV Paisa Image Source : REUTERS जल की कमी से खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं।

भारत में पानी की बढ़ती कमी कृषि और उद्योग क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है। यह देश की ऋण क्षमता के लिए हानिकारक है। ऐसा इसलिए क्योंकि खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि और आय में गिरावट से सामाजिक अशांति उत्पन्न हो सकती है। रेटिंग एजेंसी मूडीज ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि जल आपूर्ति में कमी से कृषि उत्पादन और औद्योगिक कार्य प्रभावित हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं। भाषा की खबर के मुताबिक, यह उन क्षेत्रों की ऋण क्षमता के लिए हानिकारक हो सकता है, जो भारी मात्रा में जल का उपभोग करते हैं, जैसे कोयला बिजली उत्पादक और इस्पात निर्माता आदि।

बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं के बीच पानी की खपत तेज

खबर के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की तेज आर्थिक वृद्धि, साथ ही तीव्र औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में पानी की उपलब्धता कम हो जाएगी। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव तेजी से बढ़ने के चलते जल संकट और भी बदतर हो रहा है, जिसके चलते सूखा, लू और बाढ़ जैसी जलवायु संबंधी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

मूडीज ने भारत के समक्ष पर्यावरणीय जोखिम पर एक रिपोर्ट में कहा कि भारत में पानी की कमी बढ़ती जा रही है, क्योंकि तेज आर्थिक वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के कारण लगातार बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं के बीच पानी की खपत बढ़ रही है।

प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक जल उपलब्धता

यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में जल संकट एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है। जल संसाधन मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए मूडीज ने कहा कि भारत की प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक जल उपलब्धता 2031 तक घटकर 1,367 क्यूबिक मीटर रह जाने की संभावना है। यह 2021 में पहले से ही कम 1,486 क्यूबिक मीटर है। मंत्रालय के अनुसार, 1,700 क्यूबिक मीटर से कम का स्तर जल संकट को दर्शाता है।

विश्व बैंक की फरवरी 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक में बहुपक्षीय ऋणदाता ने ग्रामीण समुदायों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के भारत सरकार के प्रयासों का समर्थन किया है। 1.2 अरब अमरीकी डॉलर के कुल वित्तपोषण वाली कई परियोजनाओं से दो करोड़ से अधिक लोगों को लाभ हुआ है।

Latest Business News