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Hindi News पैसा बिज़नेस लेट-लतीफी से 'टैक्स के पैसों की बर्बादी', देश में 388 इंफ्रा प्रोजेक्ट की लागत 4.65 लाख करोड़ बढ़ी, पढ़ें पूरा ब्योरा

लेट-लतीफी से 'टैक्स के पैसों की बर्बादी', देश में 388 इंफ्रा प्रोजेक्ट की लागत 4.65 लाख करोड़ बढ़ी, पढ़ें पूरा ब्योरा

मंत्रालय की जुलाई, 2023 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,646 परियोजनाओं में से 388 की लागत बढ़ गई है, जबकि 809 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।

Infra Projects - India TV Paisa Image Source : FILE इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट

इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का काम पूरा करने में देरी से करदाताओं का लाखों करोड़ रुपया बर्बाद हो रहा है। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। दी गई जानकारी के मुताबिक, इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 388 प्रोजेक्ट की लागत जुलाई 2023 में तय अनुमान से 4.65 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई है। देरी और अन्य कारणों से इन प्रोजेक्ट की लागत बढ़ी है। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है। 

कुल लागत में करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी 

मंत्रालय की जुलाई, 2023 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,646 परियोजनाओं में से 388 की लागत बढ़ गई है, जबकि 809 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन 1,646 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 23,92,837.89 करोड़ रुपये थी, लेकिन अब इसके बढ़कर 28,58,394.39 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 19.46 प्रतिशत यानी 4,65,556.50 करोड़ रुपये बढ़ गई है।’’ रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2023 तक इन परियोजनाओं पर 15,21,550.38 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 53.23 प्रतिशत है। 

औसत 37 महीने से प्रोजेक्ट पूरा करने में देरी

हालांकि, मंत्रालय ने कहा है कि यदि प्रोजेक्ट के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही प्रोजेक्ट की संख्या कम होकर 602 पर आ जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 809 परियोजनाओं में से 177 प्रोजेक्ट एक महीने से 12 महीने, 192 प्रोजेक्ट 13 से 24 महीने की, 318 प्रोजेक्ट 25 से 60 महीने और 122 परियोजनाएं 60 महीने से अधिक की देरी से चल रही हैं। इन 809 परियोजनाओं में विलंब का औसत 37.44 महीने है। इन प्रोजेक्ट में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है। इसके अलावा प्रोजेक्ट का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, प्रोजेक्ट की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन प्रोजेक्ट में विलंब हुआ है। 

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