नयी दिल्ली। एयर इंडिया (Air India) की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। देश के प्रमुख औद्योगिक घराने टाटा के हाथों बिकी इस सरकारी विमानन कंपनी की लापरवाही परतें अब उभर कर आ रही हैं। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में एयर इंडिया की गंभीर लापरवाही को उजागर किया है। कैग ने रिपोर्ट में कहा है कि एयर इंडिया को अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं करने पर विमान निर्माता कंपनी बोइंग को 43.85 करोड़ रुपये का जुर्माना देना पड़ा जबकि इससे बचा जा सकता था।
कैग की मंगलवार को संसद में पेश रिपोर्ट के मुताबिक, एयर इंडिया ने जुर्माने की इस रकम का भुगतान अगस्त 2020 में किया था। जुलाई 2016 से लेकर दिसंबर 2019 के दौरान अनुबंध शर्तों का पालन नहीं करने पर एयर इंडिया को यह जुर्माना देना पड़ा। कैग ने कहा है कि एयर इंडिया को यह जुर्माना विमानों से हटाए गए उपकरणों को लौटाने में हुई देरी के कारण देना पड़ा जबकि इससे बचा जा सकता था।
क्या था करार
एयर इंडिया ने दिसंबर 2015 में बोइंग के साथ एक करार किया था जिसमें 787 विमान कलपुर्जों की सर्विसिंग का प्रावधान था। इसके तहत एयर इंडिया को विमानों से निकाले गए कलपुर्जे बोइंग को नए पुर्जों की आपूर्ति के 10 दिनों के भीतर वापस करने थे। ऐसा नहीं करने पर उसे बोइंग को जुर्माना देना पड़ता।
...तो बच जाता आम लोगों का पैसा
कैग के मुताबिक, एयर इंडिया जुलाई 2016 से लेकर दिसंबर 2019 के दौरान करीब 170 मौकों पर पुराने कलपुर्जे निर्धारित समय के भीतर नहीं लौटा पायी जिसकी वजह से उसे बोइंग को यह जुर्माना देना पड़ा था।
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