कंगाली की कगार पर खड़े पाकिस्तान को जल्द ही अच्छी खबर मिल सकती है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कहा कि ऋण की 1.1 अरब डॉलर की किस्त के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की सबसे कठिन शर्तों को भी स्वीकार कर लिया गया है और अब उसके साथ समझौता होना बस कुछ ही दिनों की बात रह गई है। शरीफ ने कहा कि इस दिशा में उनके आर्थिक दल और अन्य राष्ट्रीय संस्थानों ने संयुक्त रूप से प्रयास किए थे।
जियो न्यूज से बातचीत में शरीफ ने कहा, ‘‘आईएमएफ की कठिन से कठिन शर्तो को पूरा किया गया है और अब हम कुछ ही दिनों के भीतर कर्मचारी-स्तर के समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे।’’ वित्त मंत्री इसहाक डार भी इसी तरह के बयान कई बार दे चुके हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गंभीर दबाव में है। देश को आईएमएफ से 1.1 अरब डॉलर की किस्त का बेसब्री से इंतजार है। यह आईएमएफ के 6.5 अरब डॉलर के राहत पैकेज का हिस्सा है जिसकी मंजूरी मुद्रा कोष ने 2019 में दी थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान को विदेशों से लिये गये ऋण दायित्वों पर चूक से बचना है तो यह राशि उसके लिए बेहद जरूरी है। शरीफ ने कहा कि ऋण की रूकी हुई किस्त को बहाल करने के लिए पाकिस्तान आईएमएफ की शर्तों पर खरा उतरने की कोशिश कर रहा है, ऐसे में महंगाई से पहले से त्रस्त जनता पर भार और भी बढ़ सकता है। इसके लिए, पाकिस्तान ने कर बढ़ाने, ऊर्जा के दामों में बढ़ोतरी करने, ब्याज दरों में वृद्धि करने जैसे कई नीतिगत फैसले लिए हैं।
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