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Hindi News पैसा बिज़नेस अमेरिकी रेगूलेटर्स तोड़ना चाहते हैं गूगल का एकाधिकार, क्रोम बेचने के लिए कर सकते हैं मजबूर

अमेरिकी रेगूलेटर्स तोड़ना चाहते हैं गूगल का एकाधिकार, क्रोम बेचने के लिए कर सकते हैं मजबूर

न्याय विभाग के वकीलों ने दलील दी कि क्रोम की बिक्री ‘इस महत्वपूर्ण खोजबीन के बिंदु पर गूगल के नियंत्रण को स्थायी रूप से समाप्त कर देगी और प्रतिद्वंद्वी विभिन्न सर्च इंजन को उस ब्राउजर तक पहुंच की क्षमता प्रदान करेगी जो कई उपयोगकर्ताओं के लिए इंटरनेट का प्रवेश द्वार है।

गूगल- India TV Paisa Image Source : FILE गूगल

अमेरिकी विनियामकों ने एक संघीय न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि गूगल को उसके सर्च इंजन के माध्यम से प्रतिस्पर्धा में दबदबा कायम रखने से रोका जाए। इससे पहले एक अदालत ने कहा था कि गूगल ने पिछले एक दशक में गलत तरह से इस क्षेत्र में एकाधिकार स्थापित कर लिया है। अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा बुधवार रात दायर 23 पन्नों के दस्तावेज में गूगल के प्रस्तावित विघटन में ऐसे दंडों की मांग की गई है जिनमें गूगल के अग्रणी क्रोम वेब ब्राउजर की बिक्री करने और एंड्रॉइड पर अपने स्वयं के सर्च इंजन की वकालत करने से रोकने के लिए प्रतिबंध लगाना शामिल होगा।

कई यूजर्स के लिए इंटरनेट का प्रवेश द्वार है क्रोम

न्याय विभाग के वकीलों ने दलील दी कि क्रोम की बिक्री ‘इस महत्वपूर्ण खोजबीन के बिंदु पर गूगल के नियंत्रण को स्थायी रूप से समाप्त कर देगी और प्रतिद्वंद्वी विभिन्न सर्च इंजन को उस ब्राउजर तक पहुंच की क्षमता प्रदान करेगी जो कई उपयोगकर्ताओं के लिए इंटरनेट का प्रवेश द्वार है।’ विनियामकों ने गूगल से एंड्रॉइड को बेचने की मांग करने से परहेज किया, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि न्यायाधीश को यह स्पष्ट करना चाहिए कि अगर निगरानी समिति को कदाचार के सबूत मिलते रहे तो कंपनी को अब भी अपने इस स्मार्टफोन ऑपरेटिंग सिस्टम को बेचना पड़ सकता है।

कंपनी को मॉनोपॉलिस्ट करार दिया गया था

जिस दंड की सिफारिश की गई है, उसका व्यापक दायरा इस बात को रेखांकित करता है कि राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के तहत काम करने वाले विनियामकों का मानना ​​है कि अगस्त में अमेरिकी जिला न्यायाधीश अमित मेहता द्वारा दिए गए फैसले के बाद गूगल को कितनी कड़ी सजा मिलनी चाहिए। इस फैसले में कंपनी को एकाधिकारवादी (मॉनोपॉलिस्ट) करार दिया गया था। गूगल की सजा पर वाशिंगटन, डीसी अदालत में सुनवाई अप्रैल में शुरू होने वाली है और मेहता ‘लेबर डे’ से पहले अपना अंतिम निर्णय जारी करने का लक्ष्य सामने रख रहे हैं। यदि मेहता, सरकार की सिफारिशों को स्वीकार करते हैं, तो गूगल को अंतिम फैसले के छह महीने के भीतर अपने 16 साल पुराने क्रोम ब्राउजर को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। लेकिन कंपनी निश्चित रूप से किसी भी सजा के खिलाफ अपील करेगी, जो संभावित रूप से चार साल से अधिक समय से चली आ रही कानूनी लड़ाई को और लंबा खींच सकती है।

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