US Federal Reserve : महंगाई और मंदी की मार झेल रहे अमेरिका में वहां के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें बढ़ा दी है। विभिन्न रिपोर्ट के अनुमान के अनुसार ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर दी है। 1994 के बाद पहली बार फेड ने 75 बेसिस पॉइंट की वृद्धि की है। आपको बता दें अमेरिका में महंगाई 40 साल के शीर्ष स्तर पर पहुंच गई है
ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की घोषणा करते हुए फेड चेयरमैन जेरोन पॉवेल ने आर्थिक सुस्ती से इनकार किया है। यूएस फेड की तरफ से किए गए इजाफे के बाद अमेरिकी शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक नैस्डैक, डाउ जोंस और एनवाईएसई में तेजी देखने को मिली। डाओ 436 अंक और नेस्डेक 470 अंक चढ़कर बंद हुआ। आपको बता दें अमेरिका में 1980 के बाद महंगाई के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचने के बाद यह निर्णय हुआ
महंगाई 40 साल के उच्च स्तर पर
फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की तरफ से कहा गया कि महंगाई शीर्ष स्तर पर है। इसकी वजह से 1.5 प्रतिशत से 1.75 प्रतिशत तक चलने वाले बेंचमार्क रेट को बढ़ाकर 2.25 फीसदी से 2.5 फीसदी तक कर दिया गया है। आपको बता दें कि अमेरिका में महंगाई के 40 साल में रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचने पर मार्च से अब तक यूएस फेड ने ब्याज दरों में 225 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी है।
भारत पर क्या होगा असर
अमेरिकी फेड द्वारा 75 बेसिस प्वाइंट ब्याज दर बढ़ाने से भारतीय रिजर्व बैंक पर भी ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव बढ़ेगा। रिजर्व बैंक की समीक्षा बैठक अगस्त के शुरुआत में होनी है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी फेड के कदम को देखकर ही भारत का रिजर्व बैंक भी कदम उठाएगा। वहां आक्रामक रेट हाइक के बाद हमारे यहां भी ब्याज दरों में बढ़ी बढ़ोतरी हो सकती है। लिहाजा आपकी ईएमआई से लेकर लोन तक महंगा होता।
अगस्त में फिर महंगाई की तगड़ी डोज़
बीते माह रिज़र्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में वृद्धि के झटके से यदि आप अभी तक नहीं उबरे हैं तो तैयार हो जाइए। अगस्त के पहले सप्ताह में रिजर्व बैंक ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की अगली किस्त लेकर आने वाला है। जानकारों के मुताबिक ब्याज दरों में 0.35 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी तय मानी जा रही है। ऐसे में अगस्त में आपके होम और कार लोन की महंगाई भी एक बार फिर उफान मार सकती है। अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी बोफा सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। बैंक ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये मई और जून में नीतिगत दर में कुल 0.90 प्रतिशत की वृद्धि की। खुदरा मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर दो से छह प्रतिशत के दायरे से बाहर चली गयी है।
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