US Crisis: अमेरिकी मंदी से डरीं Google जैसी टेक कंपनियां, लगाया नो वैकेंसी का बोर्ड
अमेरिका में मंदी की इस आहट से अमेरिकी कंपनियों में खलबली मच गई है। टेस्ला से लेकर गूगल तक मंदी के डर से थर्राई हुई हैं।
अमेरिका की एक छींक से दुनिया भर को बुखार आ जाता है। बीते कई दशकों से जारी यह कहावत आज भी उतनी ही सच है। बुधवार को अमेरिकी महंगाई के जो आंकड़े आए हैं, उन्होंने कंपनियों की नींद उड़ा दी है। वहीं फेडरल रिजर्व के फैसले भी यह तय कर चुके हैं कि मंदी तो आनी है, कब? ये तो वक्त ही बताएगा।
अमेरिका में मंदी की इस आहट से अमेरिकी कंपनियों में खलबली मच गई है। टेस्ला से लेकर गूगल तक मंदी के डर से थर्राई हुई हैं। पहले मेटा ने इस साल नौकरियों की संख्या घटाने का फैसला किया था। वहीं अब गूगल ने भी नो वैकेंसी का बोर्ड लगा दिया है। कंपनी ने साफ किया है कि इस साल नौकरियों की प्रक्रिया बीते सालों के मुकाबले धीमी रहेगी।
पिचई ने लिखी कर्मचारियों को चिट्ठी
गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट के CEO सुंदर पिचाई ने इम्प्लॉई को एक लैटर लिखा है। जिसमें पिचाई ने कहा है कि कंपनी भर्तियां बीते वर्षों के मुकाबले कम रहेंगी। सर्विसेज के लिए भर्तियां जारी रहेंगी लेकिन अन्य भर्तियां लगभग बंद रहेगी। ईमेल में कहा है कि 2022 और 2023 में कंपनी का फोकस सिर्फ इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी एनालिसिस और खास पदों पर कर्मचारियों की भर्ती करने पर है।
पहले 6 महीनों में कोटा पूरा
कंपनी ने साफ कर दिया है कि उसे 2022 में जितनी भर्तियां करनी थीं वह पहले 6 महीनों में पूरी कर ली गई हैं। अब 2023 से पहले भर्ती नहीं की जाएगी। पिचाई ने लिखा है कि अन्य कंपनियों की तरह हम भी आर्थिक प्रभाव से अछूते नहीं रहेंगे। दूसरी तिमाही में ही हम गूगल में 10,000 कर्मचारी जोड़ चुके हैं। इस साल का भर्तियों का लक्ष्य हमने लगभग पूरा कर लिया है।
आर्थिक अस्थिरता का असर Google पर भी
सुंदर पिचाई के अनुसार अमेरिका में जारी आर्थिक परिस्थितियों का असर Google पर भी पड़ेगा। अनिश्चित वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की हम अनदेखी नहीं कर सकते। हमने हमेशा ऐसी चुनौतियों को बाधाओं के रूप में नहीं बल्कि इनको अवसर के रूप में देखा है। वर्तमान परिस्थितियों को भी हम अवसर में बदलेंगे।”