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Unemployment rate: जून में 1.3 करोड़ लोगों की नौकरी गई, इस राज्य में सबसे ज्यादा बेरोजगारी

सीएमआईई के प्रबंध निदेशक महेश व्यास ने कहा, बिना लॉकडाउन वाले महीने में रोजगार में इतनी कमी सबसे बड़ी गिरावट है।

<p>Unemployment rate</p>- India TV Paisa Image Source : FILE Unemployment rate

Highlights

  • देश में बेरोजगारी दर जून में बढ़कर 7.80 प्रतिशत पर पहुंच गयी
  • ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर बढ़कर 8.03 प्रतिशत पर पहुंच गयी
  • आंकड़ों के अनुसार, बेरोजगारी की सबसे ऊंची दर हरियाणा में 30.6% रही

Unemployment rate: देश में बेरोजगारी दर जून में बढ़कर 7.80 प्रतिशत पर पहुंच गयी। पिछले महीने विशेषकर कृषि क्षेत्र में 1.3 करोड़ लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा, जिसके कारण बेरोजगारी बढ़ी है। आर्थिक शोध संस्थान सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, जून महीने में रोजगार में कमी से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर बढ़कर 8.03 प्रतिशत पर पहुंच गयी जो मई में 7.30 प्रतिशत थी। शहरी क्षेत्रों में स्थिति कुछ बेहतर रही और बेरोजगारी दर 7.3 प्रतिशत दर्ज की गयी, जबकि मई में यह 7.12 प्रतिशत थी। आंकड़ों के अनुसार, बेरोजगारी की सबसे ऊंची दर हरियाणा में 30.6 प्रतिशत रही। इसके बाद क्रमश: राजस्थान में 29.8 प्रतिशत, असम में 17.2 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर में 17.2 प्रतिशत और बिहार में 14 प्रतिशत रही।

लॉकडाउन नहीं होने पर भी बड़ी गिरावट 

सीएमआईई के प्रबंध निदेशक महेश व्यास ने कहा, बिना लॉकडाउन वाले महीने में रोजगार में इतनी कमी सबसे बड़ी गिरावट है। यह मुख्य रूप से गांवों में और मौसमी है। गांवों में कृषि क्षेत्र में गतिविधियां सुस्त हैं और जुलाई में बुवाई शुरू होने के साथ स्थिति पलटने की पूरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि आलोच्य महीने में 1.3 करोड़ रोजगार घटे लेकिन बेरोजगारी में केवल 30 लाख का इजाफा हुआ। व्यास ने कहा कि अन्य कामगार श्रम बाजार से बाहर हुए। कार्यबल में एक करोड़ की कमी आई। उन्होंने कहा कि यह कमी मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र में हुई है। यह संभवत: काफी हद तक श्रमिकों के पलायन का मामला है न कि आर्थिक नरमी का।

वेतनभोगी कर्मचारियों की 25 लाख नौकरियां घटी

 व्यास ने कहा, यह चिंताजनक है कि इतनी बड़ी संख्या में कामगारों पर मानसून का असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि दूसरा चिंताजनक आंकड़ा जून, 2022 में वेतनभोगी कर्मचारियों की 25 लाख नौकरियों घटने का है। जून में वेतनभोगी नौकरियों में कमी को लेकर भी चिंता बढ़ी है। सरकार ने सशस्त्र बलों की मांग को कम कर दिया और निजी इक्विटी-वित्त पोषित नौकरियों में अवसर भी कम होने लगे। केवल अच्छे मानसून से ये नौकरियां नहीं बच सकतीं। अर्थव्यवस्था को इस तरह की नौकरियों को बचाने और उत्पन्न करने के लिए निकट भविष्य में तेज गति से वृद्धि की जरूरत है। 

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