Turkey Inflation: पाकिस्तान की तरह उसका पक्का दोस्त तुर्की भी खस्ताहाल आर्थिक हालात से जूझ रहा है। रूस यूक्रेन संकट के चलते यहां महंगाई 73.5 पर पहुंच गई है। यह 24 साल का उच्चतम स्तर है। आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान पर हैं। बिगड़ते हालात के बीच यहां राष्ट्रपति रेसप तैयप एर्दोगान के तुगलकी फैसलों का विरोध भी शुरू हो गया। तुर्की की तरह ही पाकिस्तान में भी हालात खराब हैं, यहां 8 दिनों में पेट्रोल 60 रुपये महंगा हो चुका है।
क्या राष्ट्रपति की नीतियां जिम्मेदार?
पिछले कुछ महीनों में दुनिया के कई देशों में बढ़ती मुद्रास्फीति चिंता का सबब बनी हुई है लेकिन तुर्की में जरूरी वस्तुओं के आसमान छूते दामों के लिए राष्ट्रपति रेसप तैयप एर्दोगान की गलत आर्थिक नीतियों को कई विश्लेषक जिम्मेदार बता रहे हैं। तुर्की सांख्यिकीय संस्थान की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल की तुलना में मई में मुद्रास्फीति में करीब 70 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें अप्रैल की तुलना में मई में करीब तीन प्रतिशत बढ़ी हैं।
अर्थशास्त्र की मान्यताओं के उलट फैसले
तुर्की में लोगों का मानना है कि विदेशी कारणों के साथ ही एर्दोगान की गलत नीतियां भी तुर्की को खाई में धकेल रही हैं। स्थापित मान्यताओं के उलट एर्दोगान का मानना है कि ब्याज की ऊंची दरें होने से मुद्रास्फीति पैदा होती है। इसी वजह से वह आर्थिक वृद्धि एवं निर्यात को तेजी देने के लिए ब्याज दरों को कम रखने के हिमायती हैं।
लीरा में 44 प्रतिशत की गिरावट
एर्दोगान की इस सोच के अनुरूप तुर्की के केंद्रीय बैंक ने गत सितंबर से अब तक नीतिगत ब्याज दर में पांच प्रतिशत तक की कटौती करते हुए उसे नौ प्रतिशत पर ला दिया है। इसका नतीजा यह हुआ कि अमेरिकी डॉलर के खिलाफ तुर्की मुद्रा लीरा के मूल्य में 44 प्रतिशत तक की गिरावट आयी है।
यूक्रेन युद्ध के बाद बिगड़े हालात
इस साल फरवरी में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद तेल, गैस एवं अनाज के दाम बढ़ने से तुर्की में हालात और बिगड़ गए हैं। मई में परिवहन क्षेत्र में सर्वाधिक 107.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। उसके बाद खाद्य एवं पेय उत्पादों के दाम 91.6 प्रतिशत तक बढ़े हैं।
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