आज बहुत सारे देश अमेरिका को लेकर घबराए हुए हैं, लेकिन भारत उनमें से नहीं, जानें एस जयशंकर ने ऐसा क्यों कहा?
विदेश मंत्री ने भारत-अमेरिका संबंधों और ट्रंप की जीत पर कहा, "प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संभवतः उन पहले तीन लोगों में थे, जिनसे नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने बात की।" उन्होंने कहा कि भारत और प्रधानमंत्री मोदी ने कई राष्ट्रपतियों के साथ तालमेल बनाया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि इस समय अधिक डायवर्स, बहुध्रुवीय दुनिया की तरफ रुझान बना हुआ है लेकिन पुरानी, औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं का दौर खत्म नहीं हुआ है। अभी भी ये निवेश का प्रमुख लक्ष्य बनी हुई हैं। जयशंकर ने यहां आदित्य बिड़ला समूह की तरफ से दी जाने वाली छात्रवृत्ति योजना के रजत जयंती समारोह में कहा कि डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति के रूप में वापसी के बाद तमाम देश अमेरिका को लेकर थोड़े घबराए हुए हैं, लेकिन भारत उनमें से एक नहीं है। उन्होंने वैश्विक शक्ति की गतिशीलता के बारे में पूछे जाने पर कहा, "हां, बदलाव हुआ है। हम खुद इस बदलाव का उदाहरण हैं।
भारत की रैंकिंग हर सेक्टर में सुधरी
अगर आप हमारे आर्थिक वजन को देखते हैं तो आप हमारी आर्थिक रैंकिंग को देखते हैं, आप भारतीय कॉरपोरेट जगत, उनकी पहुंच, उनकी मौजूदगी, भारतीय पेशेवरों को देखते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि पुनर्संतुलन हुआ है।" इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा होना अपरिहार्य भी था। उन्होंने कहा, "औपनिवेशिक काल के बाद देशों को स्वतंत्रता मिली और उन्होंने अपनी नीतियां खुद चुननी शुरू कर दी थीं। फिर उनका आगे बढ़ना भी तय था। इनमें से कुछ तेजी से बढ़े, कुछ धीमी गति से बढ़े, कुछ बेहतर तरीके से बढ़े, और वहां शासन की गुणवत्ता और नेतृत्व की गुणवत्ता आई।" विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, "अधिक विविधतापूर्ण, बहुध्रुवीय दुनिया की ओर रुझान है। लेकिन, एक ऐसा दौर भी है जब देश वास्तव में आगे बढ़ते हैं। मेरा मतलब है, यह वैसा ही है जैसा कॉरपोरेट जगत में भी हुआ।" इसके साथ ही जयशंकर ने इस बात पर बल दिया कि पश्चिम में औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और वे प्रमुख निवेश लक्ष्य बने हुए हैं।
मोदी ने कई राष्ट्रपतियों के साथ तालमेल बनाया
उन्होंने कहा, "पुरानी, पश्चिमी अर्थव्यवस्थाएं, पुरानी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाएं खत्म नहीं हुई हैं। वे अभी भी मायने रखती हैं और वे प्रमुख निवेश लक्ष्य हैं। वे बड़े बाजार हैं, मजबूत प्रौद्योगिकी केंद्र हैं, नवाचार के केंद्र हैं।" विदेश मंत्री ने भारत-अमेरिका संबंधों और ट्रंप की जीत पर कहा, "प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संभवतः उन पहले तीन लोगों में थे, जिनसे नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने बात की।" उन्होंने कहा कि भारत और प्रधानमंत्री मोदी ने कई राष्ट्रपतियों के साथ तालमेल बनाया है। उन्होंने कहा, "आज बहुत सारे देश अमेरिका को लेकर घबराए हुए हैं, लेकिन हम उनमें से नहीं हैं।"
आदित्य बिड़ला समूह अमेरिका में निवेश बढ़ाएगा
आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने रविवार को कहा कि उनका समूह अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के एक बार फिर राष्ट्रपति चुने जाने के बाद वहां पर अपना निवेश बढ़ाना चाहता है क्योंकि अतीत में ट्रंप का भारत को लेकर सकारात्मक रुझान रहा है। बिड़ला ने यहां अपने समूह की तरफ से दी जाने छात्रवृत्ति के रजत जयंती समारोह में कहा, "हम अमेरिका में और निवेश करने के उत्सुक हैं। ट्रंप के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उनका भारत के प्रति सकारात्मक रुख है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ भी उनके अच्छे संबंध हैं।" आदित्य बिड़ला समूह अपने व्यवसायों - नोवेलिस और आदित्य बिड़ला केमिकल्स के माध्यम से अमेरिका में धातु और रसायन क्षेत्र में मजबूत चुनौती पेश करता है। इस साल जून में समूह ने टेक्सास में एक विनिर्माण और शोध एवं विकास केंद्र में पांच करोड़ डॉलर का निवेश करने की घोषणा की थी। उन्होंने ट्रंप के दूसरे कार्यकाल से जुड़ी संभावनाओं पर कहा, "इस पर टिप्पणी करना बहुत जल्दी होगा। ट्रंप के साथ पिछले अनुभव को देखें तो वह बहुत सकारात्मक था। वह उद्योग के पक्षधर हैं।"