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Hindi News पैसा बिज़नेस भारत को विकसित देश बनाने के लिए घटानी होंगी इनकम टैक्स की दरें, एक्सपर्ट्स के ये सुझाव जान खुश हो जाएंगे आप

भारत को विकसित देश बनाने के लिए घटानी होंगी इनकम टैक्स की दरें, एक्सपर्ट्स के ये सुझाव जान खुश हो जाएंगे आप

पारंपरिक उच्च कर दरों के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण कर उछाल नहीं आया है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत में 1991 के बाद से सरकारों ने स्पष्ट रूप से मध्यम कर दरों की वकालत की है, जिससे अधिक पारदर्शिता तथा अनुपालन को बढ़ावा मिलता है।

इनकम टैक्स- India TV Paisa Image Source : PIXABAY इनकम टैक्स

भारत को साल 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनाने लिए टैक्स को लेकर काम करना होगा। टैक्स असेसमेंट को लेकर अपने रुख में बदलाव करते हुए टैक्स रेट में कटौती करनी होगी। साथ ही आधार को बढ़ाकर टैक्स रेवेन्यू में वृद्धि करने की जरूरत है। विशेषज्ञों ने यह बात कही है। उन्होंने टैक्स रेट्स को कम करने, टैक्स पेमेंट बेस को बढ़ाने और इस प्रकार भारत की निवेश तथा विकास आवश्यकताओं की फंडिंग के लिए साधन बनाने पर ध्यान देते हुए टैक्स रेट्स से रेवेन्यू की ओर बढ़ने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

कर चोरी भी एक बड़ी चुनौती

EY India के वरिष्ठ साझेदार सुधीर कपाड़िया ने कहा, ‘‘पारंपरिक उच्च कर दरों के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण कर उछाल नहीं आया है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत में 1991 के बाद से सरकारों ने स्पष्ट रूप से मध्यम कर दरों की वकालत की है, जिससे अधिक पारदर्शिता तथा अनुपालन को बढ़ावा मिलता है।’’ थॉट आर्बिट्रेज रिसर्च इंस्टिट्यूट के निदेशक कौशिक दत्ता ने ‘थिंक चेंज फोरम’ द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में कहा कि भारत का कर-सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुपात एक संपन्न असंगठित क्षेत्र की उपस्थिति से प्रभावित है, जो अब भी अर्थव्यवस्था में 30 से 35 प्रतिशत का योगदान देता है। दत्ता ने कहा, ‘‘सरल जीएसटी व्यवस्था से वे औपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल हो सकेंगे, ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ ले सकेंगे और प्रतिस्पर्धी बन सकेंगे। वर्गीकरण के मुद्दों के साथ-साथ कर चोरी भी एक बड़ी चुनौती है। एक अन्य क्षेत्र जिसमें जीएसटी सफल नहीं हो पाया है, वह है ई-कॉमर्स। चुनौतियां हैं और उनका समाधान किया जाना चाहिए।’’

कर-जीडीपी अनुपात को बढ़ाना हो प्राथमिकता

सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकनॉमिक्स के पुलिन बी. नायक ने कहा, ‘‘भारत अब भी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के समूह में है। प्रति व्यक्ति आय कम होने के कारण आयकरदाता कम हैं। कर की दरें बहुत अधिक रखना भी एक अनुचित विचार है, क्योंकि इससे कर चोरी को बढ़ावा मिलेगा।’’ नायक ने कहा कि कर-जीडीपी अनुपात को बढ़ाना बहुत बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि इससे सरकार सार्वजनिक वस्तुओं, बुनियादी ढांचे और सामाजिक क्षेत्र पर खर्च करने में सक्षम होगी। थिंक चेंज फोरम के महासचिव रंगनाथ तन्निर ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कराधान में सुधार समय की मांग है। सरकार को जल्द से जल्द कर की दरें कम करने और करदाताओं का आधार बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।

(पीटीआई के इनपुट के साथ)

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