नए साल के साथ दुनिया पर मंदी का खतरा! लेकिन भारत को लेकर आई यह अच्छी खबर
सीईबीआर के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था रैंकिंग में भारत 2037 तक पांचवें स्थान से तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा।
दुनियाभर के लोग नए साल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन आने वाला साल दुनिया के लिए चुनौतपूर्ण होने वाला है। दरअसल, सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (CEBR) की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया को 2023 में मंदी का सामना करना पड़ेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, आसमान छूती महंगाई को काबू करने के लिए दुनियाभर के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में वृद्धि करेंगे। इससे बाजार मांग में कमी आएगी। यह पूरी दुनिया को मंदी की चपेट में धकेलने का काम करेगा। वहीं, भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने से कोई नहीं रोक सकता है। सीईबीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भाारत की ग्रोथ की रफ्तार पर लगाम लगाना मुश्किल है। साल 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था 10 लाख करोड़ डॉलर का बनने का अनुमान है। वहीं, साल 2037 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का अनुमान है।
भारत पहुंच जाएगा तीसरे स्थान पर
सीईबीआर के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था रैंकिंग में भारत 2037 तक पांचवें स्थान से तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। अगले पांच वर्षों में भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वार्षिक वृद्धि दर औसतन 6.4 फीसदी रहने की उम्मीद है, जिसके बाद अगले नौ वर्षों में विकास दर औसतन 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। सीईबीआर रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत की अनुमानित पीपीपी-समायोजित जीडीपी प्रति व्यक्ति 8,293 डॉलर है, जो इसे निम्न मध्यम आय वाले देश के रूप में वर्गीकृत करता है। यूके स्थित कंसल्टेंसी ने सुझाव दिया है कि प्रमुख दरों में वृद्धि और वैश्विक मांग में गिरावट के बावजूद चालू वित्त वर्ष में विकास दर 6.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। पीपीपी जीडीपी सकल घरेलू उत्पाद है, जिसे क्रय शक्ति समानता दरों का उपयोग करके अंतरराष्ट्रीय डॉलर में परिवर्तित किया जाता है। संस्थान ने आगे कहा कि यद्यपि कृषि भारत के अधिकांश श्रम बाजार को रोजगार देती है, लेकिन यह सेवा क्षेत्र है, जो देश की आर्थिक गतिविधियों को संचालित करता है।
दुनिया की जीडीपी दोगुनी हो जाएगी
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2037 तक दुनिया की जीडीपी दोगुनी हो जाएगी। ऐसा कई विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था में वृद्धि से होगा। वैश्विक अर्थव्यवस्था में पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र का ग्लोबल आउटपुट में एक तिहाई से ज्यादा का योगदान होगा, जबकि यूरोप का हिस्सा पांचवे से भी कम हो जाएगा। हालांकि, अगले साल वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका लगेगा। रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था 2022 में पहली बार 100 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गई है।