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Hindi News पैसा बिज़नेस Recession आने के पीछे हैं ये तीन बड़े कारण, गवर्नर Shaktikanta Das ने भारत के विकास दर बरकरार रहने की कही बात

Recession आने के पीछे हैं ये तीन बड़े कारण, गवर्नर Shaktikanta Das ने भारत के विकास दर बरकरार रहने की कही बात

आज के समय में दुनिया के कई देश मंदी की समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं भारत एक मजबूत स्थिति में खड़ा है। आरबीआई के गवर्नवर शक्तिकांत दास ने वित्त वर्ष 2022-23 में सात प्रतिशत की ग्रोथ रेट बरकरार रहने की बात कही है।

Recession आने के पीछे हैं ये तीन बड़े कारण- India TV Paisa Image Source : AP Recession आने के पीछे हैं ये तीन बड़े कारण

बढ़ती महंगाई और मंदी की आशंका के बीच दुनिया के कई देश नए नियम बनाने पर ध्यान दे रहे हैं। वहीं भारत के विकास दर में स्थिरता रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को भरोसा जताया है कि भारत वित्त वर्ष 2022-23 में सात प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि दर के साथ सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। दास ने एक समिट के दौरान इस बात पर जोर दिया कि बैंकिंग और गैर-बैंकिंग क्षेत्रों के समर्थन से देश की अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है। 

इन तीन समस्याओं से परेशान है दुनिया

उन्होंने कहा, "पूरी दुनिया ने कई झटके झेले हैं। मैंने इन्हें तीन झटके कहता हूं। पहला कोविड-19 महामारी, फिर यूक्रेन में युद्ध और अब वित्तीय बाजार में उथल-पुथल।" आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्तीय बाजार में उथल-पुथल मुख्य रूप से केंद्रीय बैंकों द्वारा दुनिया भर में सख्त मौद्रिक नीति से उत्पन्न हो रही है। विशेष रूप से विकसित देशों के कारण और इनके अप्रत्यक्ष नुकसान भारत समेत उभरती अर्थव्यवस्थाओं को झेलना पड़ रहा है। 

यूरोपीय संघ आर्थिक मंदी का कर रहे सामना

उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की लगातार उथल-पुथल में यूरोपीय संघ आर्थिक मंदी की स्थिति का सामना कर रहा है, लेकिन संभावनाएं हैं कि वह इससे बच जाएगा। अमेरिका में स्थिति स्थिर है लेकिन ऐसे अन्य देश हैं जहां आर्थिक वृद्धि धीमी हो गई है। जहां तक ​​भारत का संबंध है। हमारे समग्र वृहद-आर्थिक बुनियादी पहलू मजबूत बने हुए हैं। बैंकिंग या गैर-बैंकिंग क्षेत्र उधारदाताओं के संबंध में सभी मापदंडों के कारण स्थिर है। मौजूदा संदर्भ में वृद्धि के आंकड़े अच्छे दिख रहे हैं। हमारा अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था करीब सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। 

IMF ने 6.8 प्रतिशत के विकास दर का लगाया अनुमान

आईएमएफ ने अनुमान जताया है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर लगभग 6.8 प्रतिशत रहेगी। यह आंकड़े भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में रखते हैं।" हालांकि, आरबीआई प्रमुख ने कहा कि मुद्रास्फीति के मामले में भारत के सामने एक बड़ी चुनौती है। उल्लेखनीय है कि सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई जबकि अगस्त में यह सात प्रतिशत पर थी। खाद्य और ऊर्जा उत्पादों की कीमतों में तेजी के कारण इसमें वृद्धि हुई थी। 

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