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Hindi News पैसा बिज़नेस हल्दीराम में हिस्सेदारी खरीदने की होड़ में ये 3 विदेशी कंपनियां, इसके बाद कंपनी IPO लाएगी!

हल्दीराम में हिस्सेदारी खरीदने की होड़ में ये 3 विदेशी कंपनियां, इसके बाद कंपनी IPO लाएगी!

सूत्रों ने कहा कि कंपनी के प्रवर्तक अग्रवाल परिवार अगले साल जनवरी की शुरुआत तक सौदे को अंतिम रूप दे सकता है।

Halidiram- India TV Paisa Image Source : FILE हल्दीराम

हल्दीराम में हिस्सेदारी खरीदने की होड़ में तीन विदेशी कंपनियां शामिल हो गई हैं। आपको बता दें कि ब्लैकस्टोन और बेन कैपिटल की अगुवाई वाले गठजोड़ पहले ही हिस्सेदारी लेने की दौड़ में थी। अब अल्फा वेव ग्लोबल भी शामिल हो गई है। इसके आने से यह प्रतिस्पर्धा त्रिकोणीय बन गयी है। ये तीनों कंपनियां तीन कंपनियां हल्दीराम स्नैक्स फूड में 15 से 20 प्रतिशत की अल्पांश हिस्सेदारी हासिल करने की दौड़ में है। हल्दीराम स्नैक्स फूड देश की सबसे बड़ी पैकेटबंद स्नैक और मिठाई कंपनी है। इसके अलावा यह रेस्तरां भी चलाती है। मिली जानकारी के अनुसार, हिस्सेदारी बेचने के बाद हल्दीराम IPO लाने पर विचार कर सकती है। उद्योग सूत्रों ने यह जानकारी दी। 

जनवरी तक डील पूरी होने की उम्मीद

सूत्रों ने बताया कि अल्फा वेव ग्लोबल ने हाल ही में हल्दीराम स्नैक्स फूड में अल्पांश हिस्सेदारी हासिल करने के लिए एक पक्का प्रस्ताव पेश किया है। बताया जाता है कि अल्फा वेव ग्लोबल ने हल्दीराम स्नैक्स फूड में अल्पांश हिस्सेदारी हासिल करने के लिए एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की पक्की पेशकश की है। सूत्रों ने कहा कि कंपनी के प्रवर्तक अग्रवाल परिवार अगले साल जनवरी की शुरुआत तक सौदे को अंतिम रूप दे सकता है। इससे पहले प्रवर्तक एक बड़ा हिस्सा बेचने का इरादा रखते थे। हालांकि, अब उन्होंने इनमें से किसी एक फर्म के साथ मिलकर केवल अल्पांश हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। 

बिजनेस एक्सपेंशन करने की योजना 

इस निवेश से हल्दीराम को अपनी एक्सपेंशन स्कीम की फंडिंग  और घरेलू तथा कुछ विदेशी बाजारों में विस्तार को तेज करने में मदद मिलेगी। इसके बाद हल्दीराम स्नैक्स फूड के प्रवर्तक कंपनी का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) लाने पर भी विचार कर सकती है। हल्दीराम स्नैक्स फूड हल्दीराम परिवार के दो हिस्सों - दिल्ली और नागपुर का संयुक्त व्यवसाय है। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण ने दोनों हिस्सों के विलय की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है, जबकि अन्य नियामकीय मंजूरियों का इंतजार है। 

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