विभिन्न कारोबार से जुड़ा जीवीके ग्रुप ने बुधवार को स्पष्ट किया कि उसके ऊपर मुंबई हवाई अड्डे में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए किसी तरह का ‘बाहरी दबाव’ नहीं था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को लोकसभा में समूह पर दबाव होने का आरोप लगाया था। उन्होंने संसद में कहा था कि भारत सरकार ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर जीवीके से मुंबई हवाई अड्डा लेकर उसे अडाणी को सौंप दिया। गांधी के इस आरोप के एक दिन बाद जीवीके ने इस मामले में यह बयान दिया है।
जीवीके के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘मुंबई हवाई अड्डे में हिस्सेदारी अडाणी को बेचने का फैसला प्रबंधन ने लिया था और इसके लिए हमपर कोई ‘बाहरी दबाव’ नहीं डाला गया। अमेरिका की वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह को लेकर काफी ‘हंगामा’ मचा हुआ है। इस रिपोर्ट में अडाणी समूह पर लेनदेन में धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं। जीवीके ग्रुप के वाइस चेयरमैन संजय रेड्डी ने एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में उन परिस्थतियों को स्पष्ट किया जिनकी वजह से मुंबई हवाई अड्डे में हिस्सेदारी बेचनी पड़ी।
रेड्डी ने कहा कि समूह हवाई अड्डा कारोबार के लिए धन जुटाना चाहता था। उन्होंने बताया कि अडाणी समूह के प्रमुख गौतम अडाणी ने उनसे संपर्क किया था और कहा था कि उनकी हवाई अड्डे में रुचि है और क्या जीवीके समूह उनके साथ सौदा करने का इच्छुक है। रेड्डी ने कहा, ‘‘अडाणी ने एक महीने में सौदा पूरा होने की बात कही। यह हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण था। हमने जो कुछ भी किया कंपनी के हित में किया। हमें वित्तीय संस्थानों को कर्ज लौटाने थे और इसीलिए सौदा जल्द-से-जल्द पूरा करना था। चूंकि किसी और निवेशक ने रूचि नहीं दिखाई, हमने अडाणी के साथ सौदा किया।’’
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