दिल्ली-NCR में फ्लैट की चाबी मिलने का इंतजार और बढ़ेगा, इस कारण होम बायर्स की बढ़ेगी परेशानी
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान के पार पहुंचने के बाद जीआरएपी-3 लागू किया गया है। इसके तहत दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बौद्ध नगर सहित पूरे दिल्ली-एनसीआर में गैर-जरूरी निर्माण कार्य, पत्थर तोड़ने और खनन पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है।
दिल्ली-NCR में अपने फ्लैट की चाबी मिलने का इंतजार कर रहे लाखों होम बायर्स के लिए बुरी खबर है। दरअसल, दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण का स्तर रिकॉर्ड लेबल पर पहुंचने के बाद गैर-जरूरी कंस्ट्रक्शन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इससे रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट का काम पूरा करने में देरी होगी। डेवलपर्स का कहना है कि एक महीने के निर्माण प्रतिबंध से से प्रोजेक्ट में कम से कम तीन महीने की देरी हो जाती है। प्रोजेक्ट का काम पूरा नहीं होने से घर खरीदारों को पजेशन देना संभव नहीं होगा। यानी अपने घर मिलने का इंतजार कर रहे लोगों की परेशानी बढ़ेगी। उनको और इंतजार करना होगा।
प्रदूषण कम करने के लिए जीआरएपी-3 लागू किया
केंद्र के प्रदूषण नियंत्रण पैनल ने गुरुवार को जीआरएपी-3 लागू किया, जिसमें दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बौद्ध नगर सहित पूरे दिल्ली-एनसीआर में गैर-जरूरी निर्माण कार्य, पत्थर तोड़ने और खनन पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया। हालांकि, यह प्रतिबंध रेलवे सेवाओं या स्टेशनों, मेट्रो रेल सेवाओं और स्टेशनों, हवाई अड्डों, अंतर-राज्य बस टर्मिनलों, राष्ट्रीय सुरक्षा या रक्षा-संबंधी गतिविधियों या राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं, अस्पतालों या स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की परियोजनाओं को छूट देता है। निर्माण पर प्रतिबंध लगाए जाने पर रियल एस्टेट डेवलपर के निकाय नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी हरि बाबू ने कहा कि प्रदूषण से हर कोई चिंतित है लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि एक महीने के लिए निर्माण रोकने से परियोजना में कम से कम तीन महीने की देरी हो जाती है। साथ ही इसका असर आजीविका पर भी पड़ता है। चूंकि यह क्षेत्र देश में अकुशल श्रम के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है, इसलिए इसके प्रभाव बहुत बड़े हैं।
रियल एस्टेट क्षेत्र इस कदम से चिंतित
कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज गौड़ ने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए अधिकारियों के प्रयासों का पूरा समर्थन करता है, लेकिन इसमें कुछ आपत्तियां भी हैं। उन्होंने कहा, विनिर्माण गतिविधियों पर एक महीने के प्रतिबंध से परियोजना पूरी होने में कम से कम दो से तीन महीने की देरी होगी। रियल एस्टेट क्षेत्र इस कदम से चिंतित है क्योंकि परियोजना लागत में वृद्धि हो सकती है और निर्माण श्रमिकों की आजीविका प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद डेवलपर्स राष्ट्रीय हरित न्याधिकरण (एनजीटी) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए प्रदूषण को कम करने के लिए नियमित रूप से पानी छिड़कने और धुंध-रोधी मशीनें लगाने जैसे उपाय सक्रिय रूप से करते हैं। गौड़ ने कहा, “उम्मीद है कि डेवलपर्स जीआरएपी अवधि के दौरान विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। इसके अलावा प्रदूषण का मुख्य स्रोत वाहन प्रदूषण और सड़कों पर धूल है जिसे नियंत्रित और प्रबंधित करने की आवश्यकता है।”