विकसित भारत का रास्ता रियल एस्टेट से होकर निकलेगा, 2030 तक इतना बढ़ जाएगा प्रॉपर्टी बाजार
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 15 प्रतिशत का योगदान देगा और वर्ष 2030 तक बाजार का आकार एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा।
विकसित भारत (Developed India) का रास्ता रियल एस्टेट से होकर निकलेगा। इसके लिए प्रॉपर्टी बाजार को अत्यधिक परिपक्व, पारदर्शी और संगठित होने की जरूरत है। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को ये बातें कही। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए वर्ष 2030 तक प्रॉपर्टी बाजार का आकार एक लाख करोड़ डॉलर तक होना चाहिए।
पुरी ने कहा कि विकसित भारत को रेजिडेंशियल और कमर्शियल दोनों क्षेत्रों में अत्यधिक मैच्योर और विकसित रियल एस्टेट क्षेत्र की भी जरूरत होगी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि डेटा सेंटर और वेयरहाउसिंग सहित वाणिज्यिक रियल एस्टेट में निवेश आ रहा है। इसके अलावा रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट्स) की शुरुआत से भी रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने में मदद मिली है। पुरी ने कहा, "रेरा एक परिवर्तनकारी घटना थी। अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक के पास लगभग 70 वर्षों तक कोई नियामक नहीं होना आश्चर्यजनक था।"
रियल एस्टेट क्षेत्र दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता
उन्होंने कहा कि देश भर में 1,22,553 रियल एस्टेट परियोजनाएं और 86,262 रियल एस्टेट एजेंट इस नियामक के साथ पंजीकृत हैं। हालांकि उन्होंने यह माना कि कुछ राज्य रेरा के कार्यान्वयन में दूसरों से बेहतर कर रहे हैं। पुरी ने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र देश का दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है। उन्होंने कहा, "अनुमान है कि यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 15 प्रतिशत का योगदान देगा और वर्ष 2030 तक बाजार का आकार एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा।" उन्होंने कहा कि देश की बढ़ती शहरी जरूरतों को पूरा करने के लिए वर्ष 2030 तक 2.5 करोड़ अतिरिक्त किफायती आवासों की जरूरत होगी।
रियल एस्टेट कदम से कदम मिलाकर चल रहा
अंतरिक्ष इंडिया के सीएमडी राकेश यादव ने कहा कि विकसित भारत के सपने को पूरा करने में रियल एस्टेट सेक्टर कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में किए जा रहे बड़े निवेश से रियल एस्टेट सेक्टर को फैयदा हो रहा है। इससे रियल एस्टेट में तेजी बनी हुई है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को कई फ्रंट पर मदद कर रहा है। प्रॉपर्टी बाजार में तेजी से कंस्ट्रक्शन मेटेरियल्स की मांग बनी हुई है। रोजगार के अवसर सृजन हो रहे हैं। बैंकों को बिजनेस मिल रहा है। ये सारे इंडियन इकोनॉमी के साइज को बड़ा करने में मदद कर रहे हैं। देश की बढ़ती शहरी जरूरतों को पूरा करने के लिए 2030 तक 2.5 करोड़ घरों की जरूरत होगी। रियल एस्टेट सेक्टर इस दिशा में लगातार काम कर रहा है।