देश के आठ प्रमुख शहरों में खाली पड़े शॉपिंग मॉल की संख्या पिछले साल 57 से बढ़कर 64 हो गई। इसकी वजह खुदरा विक्रेता और उपभोक्ताओं के प्रीमियम संपत्तियों को तरजीह देना है। रियल एस्टेट सलाहकार नाइट फ्रैंक इंडिया ने मंगलवार को ‘थिंक इंडिया थिंक रिटेल 2024’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की। भाषा की खबर के मुताबिक, इसमें 29 शहरों के शॉपिंग सेंटर और बड़े बाजारों पर गौर किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, आठ प्रमुख महानगरों में खाली पड़ी खुदरा संपत्तियों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
घोस्ट शॉपिंग सेंटर के तौर पर कहलाए
खबर के मुताबिक, करीब 1.33 करोड़ वर्ग फुट सकल पट्टे योग्य क्षेत्र वाले 64 शॉपिंग मॉल को 2023 में ‘घोस्ट शॉपिंग सेंटर’ के रूप में वर्गीकृत किया गया। ‘घोस्ट शॉपिंग सेंटर’ से मतलब उन मॉल से है जो 40 प्रतिशत से अधिक खाली हैं। क्षेत्रफल की बात करें तो यह पिछले वर्ष (2022) के 84 लाख वर्ग फुट से 58 प्रतिशत अधिक है। नाइट फ्रैंक ने खाली पड़े शॉपिंग केंद्रों की संख्या में वृद्धि के चलते 2023 में 6,700 करोड़ रुपये या 79.8 करोड़ अमेरिकी डॉलर का नुकसान होने का अनुमान लगाया है।
दिल्ली-एनसीआर में हैं 21 खाली मॉल
नाइट फ्रैंक के आंकड़ों के मुताबिक, शीर्ष आठ शहरों में कुल 64 खाली पड़े मॉल में से 21 मॉल दिल्ली- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में, 12 बेंगलुरु में, 10 मुंबई में, छह कोलकाता में, पांच हैदराबाद में, चार अहमदाबाद में और तीन-तीन चेन्नई और पुणे में हैं। हैदराबाद में केवल ऐसे मॉल की संख्या 19 प्रतिशत घटी है। कोलकाता में इनमें सबसे अधिक सालाना आधार पर 237 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
महानगरों में शॉपिंग सेंटर भी घटे
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा कि बढ़ती खर्च योग्य आय, युवा जनसांख्यिकी और शहरीकरण से प्रेरित उपभोग की गति संगठित खुदरा क्षेत्र के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि खरीदारों के लिए बेहतर खुदरा अनुभव महत्वपूर्ण है, जो भौतिक खुदरा स्थानों के महत्व को उजागर करता है। नाइट फ्रैंक ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक वर्ष में महानगरों में शॉपिंग केंद्र की कुल संख्या भी घटी है। रिपोर्ट के मुताबिक, आठ नए खुदरा केंद्र जुड़ने के बावजूद 2023 में शॉपिंग केंद्र की कुल संख्या घटकर 263 रह गई क्योंकि पिछले वर्ष 16 शॉपिंग केंद्र बंद हो गए।
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