भारी उद्योग मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पॉलिसी पर मंगलवार को विचार-विमर्श के लिए टेस्ला के सीईओ एलन मस्क सहित अन्य प्रमुख वैश्विक और घरेलू ईवी मैनुफैक्चरिंग कंपनियों को आमंत्रित किया है। इस मीटिंग में भारत में इलेक्ट्रिक पैसेंजर्स कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (एसपीएमईपीसीआई) या ईवी नीति के लिए गाइडलाइंस को आखिरी रूप देने के लिए है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, गाइडलाइंस पर सलाह का यह दूसरा दौर है।
ईवी पॉलिसी क्यों है खास
खबर के मुताबिक, ईवी पॉलिसी ग्लोबल ऑटो मैनुफैक्चरर्स को आकर्षित करने और घरेलू मैनुफैक्चरिंग क्षमताओं को मजबूत करने के लिए डिजाइन की गई है। यह पॉलिसी इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनियों को भारत में प्रोडक्शन से जुड़ी सुविधाएं स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। साथ ही यह लोकल मैनुफैक्चरिंग और सप्लाई चेन में महत्वपूर्ण निवेश अनिवार्य करती है। प्रस्तावित गाइडलाइन के मुताबिक, घरेलू मूल्य संवर्द्धन (डीवीए) का मूल्यांकन ऑटोमोबाइल और ऑटो घटकों (पीएलआई-ऑटो) के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना के मुताबिक किया जाएगा। इसमें अनुसंधान और विकास पर खर्च, ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण और योजना के तहत पात्र निवेश के रूप में योग्य होगा।
प्रस्ताव में क्या है
ईवी पॉलिसी में उन ईवी मैनुफैक्चरर्स के लिए आयात शुल्क में कमी का भी प्रस्ताव है जो भारत में कम से कम $500 मिलियन (लगभग 4,150 करोड़ रुपये) का निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, साथ ही ऑपरेशन के तीन सालों के भीतर डीवीए 25% और पांचवें वर्ष तक 50% हासिल करना है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, योग्य निर्माताओं के लिए, $35,000 सीआईएफ (लागत, बीमा और माल ढुलाई) से अधिक कीमत वाले EV पर इम्पोर्ट टैक्स को मौजूदा दरों 70% या 100% से घटाकर 15% कर दिया जाएगा।
ये कंपनियां भी ले सकती हैं हिस्सा
इस मीटिंग में टेस्ला, हुंडई, बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज-बेंज, किआ, टोयोटा और रेनॉल्ट-निसान सहित ग्लोबल ईवी कंपनियों के साथ-साथ टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी भारतीय वाहन निर्माता कंपनियों के भाग लेने की उम्मीद है। ये कंपनियां परामर्श के पहले दौर में शामिल हुई थीं। भारत के साथ टेस्ला के इतिहास को देखते हुए उसके संभावित फिर से जुड़ने पर नजर रखी जा रही है। तब से, भारत में कंपनी की निवेश योजनाएं अधर में हैं। उम्मीद है इस पर फिर से चर्चा शुरू हो सकती है। वियतनाम की विनफास्ट, जिसने पहले ही भारत में महत्वपूर्ण निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है, एक अन्य प्रमुख भागीदार है।
Latest Business News