देश का चालू खाता घाटा यानी करेंट अकाउंट डेफिसिट अप्रैल-जून तिमाही में बढ़कर 9.7 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1.1 प्रतिशत हो गया। वित्त वर्ष 2023-24 की जून तिमाही में देश का CAD (करेंट अकाउंट डेफिसिट) 8.9 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1 प्रतिशत था। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को चालू खाते से संबंधित ये आंकड़े जारी किए। पिछली जनवरी-मार्च तिमाही में चालू खाता 4.6 अरब डॉलर यानी जीडीपी के 0.5 प्रतिशत सरप्लस की स्थिति में था। रिजर्व बैंक ने जून तिमाही के दौरान चालू खाता घाटे में हुई इस बढ़ोतरी के लिए मर्चेंडाइस ट्रेड गैप बढ़ने को जिम्मेदार बताया है।
56.7 अरब डॉलर के मुकाबले 65.1 अरब डॉलर हुआ मर्चेंडाइस ट्रेड गैप
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मर्चेंडाइस ट्रेड गैप 65.1 अरब डॉलर दर्ज किया गया जो पिछले साल की जून तिमाही में 56.7 अरब डॉलर था। आरबीआई ने कहा कि जून तिमाही में शुद्ध सेवा प्राप्तियां (Net services receipts) एक साल पहले के 35.1 अरब डॉलर से बढ़कर 39.7 अरब डॉलर हो गईं। इसके साथ ही कंप्यूटर सर्विसेज, बिजनेस सर्विसेज, ट्रैवल सर्विसेज और ट्रांसपोर्ट सर्विसेज में बढ़ोतरी देखी गई है। हालांकि, जून तिमाही के दौरान शुद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। ये एक साल पहले के 15.7 अरब डॉलर की तुलना में सिर्फ 90 करोड़ डॉलर रहा।
विदेश में रहने वाले भारतीयों ने पिछले साल के मुकाबले भेजे ज्यादा पैसे
वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में विदेशों से लिए गए वाणिज्यिक उधार (ECBs) के तहत नेट इनफ्लो घटकर 1.8 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले की अप्रैल-जून तिमाही में दर्ज 5.6 अरब डॉलर से कम था। जून तिमाही में विदेशों में रह रहे भारतीयों की तरफ से भेजे गए पैसों में भी उछाल दर्ज किया गया है। इस दौरान विदेश से भारत भेजे गए पैसे अप्रैल-जून 2023 के 27.1 अरब डॉलर से बढ़कर इस साल 29.5 अरब डॉलर हो गए। भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह भी पिछली तिमाही में बढ़कर 6.3 अरब डॉलर हो गया जबकि पिछले साल ये 4.7 अरब डॉलर था।
पीटीआई इनपुट्स के साथ
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