नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने 2022 का आर्थिक सर्वेक्षण जारी कर दिया है। इसमें बताया गया है कि कोरोना संकट के दौरान वर्क फ्रॉम होम और आनलाइन क्लासेस के कारण देश में इंटरनेट उपयोग में जबर्दस्त तेजी आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड के चलते ऑनलाइन शिक्षा एवं घर से काम (डब्ल्यूएफएच) के चलन से डेटा की खपत में भारी वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार बीते कुछ वर्षों में भारत के दूरसंचार क्षेत्र में डेटा की भूमिका बहुत बढ़ गई है क्योंकि कड़ी प्रतिस्पर्धा से लागत कम हुई है और इससे डेटा इस्तेमाल और बढ़ गया है। प्रत्येक डेटा उपभोक्ता का प्रतिमाह औसत वायरलेस डेटा उपयोग वित्त वर्ष 2017-18 में 1.24 गीगाबाइट प्रतिमाह से बढ़कर चालू वित्त वर्ष में 14.1 गीगाबाइट मासिक हो गया है। मोबाइल टावरों की संख्या दिसंबर, 2021 में बढ़कर 6.93 लाख हो गई है।
समीक्षा में भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में ढांचागत और प्रक्रियागत सुधारों की रूपरेखा बताते हुए कहा गया है कि दूरसंचार अवसंरचना के विस्तार के अलावा सुधार लाने के लिए और भी कई कदम उठाए गए हैं। इसमें कहा गया, ‘‘सुधारों से 4जी प्रसार को बढ़ावा मिलेगा, नकदी का प्रवाह बढ़ेगा और 5जी नेटवर्क में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनेगा।’’
मजबूत और जिम्मेदार नियामकीय ढांचे ने उचित कीमतों पर सेवा की पहुंच को बनाए रखा है, सरकार ने उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से सेवाप्रदाताओं के बीच उचित प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए और उपाय भी किए हैं। समीक्षा में कहा गया कि दूरसंचार देश के सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले सबसे शक्तिशाली क्षेत्रों में से एक है और इस क्षेत्र की का महत्व बहुत बढ़ गया है। यह कुल दूरसंचार उपभोक्ता आधार में वृद्धि, इंटरनेट उपभोक्ताओं और ब्रॉडबैंक कनेक्शनों की लगातार बढ़ती संख्या में नजर आता है।
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