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Tax on Diesel : सरकार ने डीजल पर बढ़ाया टैक्स, जानिए क्या आपकी जेब पर पड़ेगा इसका असर?

सरकार ने एक और अहम फैसला लेते हुए घरेलू स्तर पर उत्पादित Crude Oil पर Tax को 17,000 रुपये प्रति टन से घटाकर 13,000 रुपये प्रति टन कर दिया गया है।

Tax On Diesel- India TV Paisa Image Source : FILE Tax On Diesel

Highlights

  • डीजल के निर्यात पर विंडफॉल टैक्स को बढ़ाकर सात रुपये प्रति लीटर कर दिया
  • पहले सरकार डीजल पर 5 रुपये प्रति लीटर का टैक्स वसूल रही थी
  • एटीएफ पर दो रुपये प्रति लीटर का कर फिर से लगाया गया है

Tax on Diesel : सरकार ने डीजल पर टैक्स बढ़ा दिया है। लेकिन आपको डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह टैक्स डीजल के निर्यात पर लगाया गया है। इस टैक्स को तकनीकी भाषा में अप्रत्याशित लाभ कर या फिर विंडफॉल टैक्स कहा जाता है। इसके साथ ही सरकार ने एटीएफ पर दोबारा से टैक्स लगा दिया है। 

तेल निर्यात पर विंडफॉल टैक्स

  • पेट्रोल- शून्य
  • डीजल- 7 रुपये प्रति लीटर
  • ATF- 2 रुपये प्रति लीटर

 

डीजल पर बढ़ा विंडफॉल टैक्स 

ताजा अधिसूचना के अनुसार सरकार ने डीजल के निर्यात पर विंडफॉल टैक्स को बढ़ाकर सात रुपये प्रति लीटर कर दिया है। इससे पहले सरकार डीजल पर 5 रुपये प्रति लीटर का टैक्स वसूल रही थी। इसके साथ ही विमान ईंधन (एटीएफ) पर दो रुपये प्रति लीटर का कर फिर से लगाया गया है। 

घरेलू कच्चे तेल पर घटाया टैक्स 

सरकार ने एक और अहम फैसला लेते हुए घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर टैक्स घटा दिया है। घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर कर को 17,000 रुपये प्रति टन से घटाकर 13,000 रुपये प्रति टन कर दिया गया है।

जुलाई में घटाया था टैक्स 

सरकार ने अप्रत्याशित लाभ कर की तीसरे पखवाड़े की समीक्षा में डीजल के निर्यात पर कर पांच रुपये से बढ़ाकर सात रुपये प्रति लीटर कर दिया है। वहीं एटीएफ पर फिर से दो रुपये प्रति लीटर का कर लगाया गया है। पिछले महीने सरकार ने एटीएफ निर्यात पर अप्रत्याशित लाभ कर समाप्त कर दिया था। 

क्यों लगाया था टैक्स 

सरकार ने 1 जुलाई को यह टैक्‍स लगाते हुए बताया था कि ग्‍लोबल मार्केट में कच्‍चे तेल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों के कारण घरेलू बाजार में पेट्रोल डीजल के खुदरा मूल्‍य को बढ़ने से रोकने के लिए निर्यात पर टैक्स लगाया गया था। इसका मकसद था कि कंपनियां यहां रिफाइन किए गए ईंधन को निर्यात करने के बजाए घरेलू बाजार में ही खपत कराएं, ताकि आपूर्ति बेहतर हो और कीमतें कम की जा सकें। यह अतिरिक्‍त टैक्‍स लागू होने के बाद से ही तेल कंपनियां इसका विरोध कर रहीं थी।

फायदा या नुकसान सिर्फ 2 कंपनियों को 

सरकार के इस फैसले का फायदा या नुकसान रिलायंस जैसी रिफाइंड ईंधन का निर्यात करने वाली कंपनियों को होगा। इसके अलावा रोजनेफ्ट की कंपनी नायरा एनर्जी को भी नए फैसले का असर होगा। ये दोनों कंपनियां मिलकर करीब 85 फीसदी ईंधन का निर्यात करती हैं। 

सरकार ने 3 सप्ताह में उलट दिया था फैसला 

सरकार ने 1 जुलाई को ईंधन के निर्यात पर यह अप्रत्याशित टैक्स लगाया था। तब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें 120 डॉलर पर थीं। वहीं जुलाई के अंत तक जब कीमतें घटकर 100 डॉलर पर आ गई तो सरकार ने पेट्रोल और जेट फ्यूल पर लगाया विंडफॉल टैक्स वापस ले लिया वहीं डीजल पर टैक्स घटा दिया था।

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