Sweet and Salty: भारत में कोविड-19 का प्रकोप घटने के साथ ही त्योहारों की परंपरागत रौनक लौट रही है। एक औद्योगिक महासंघ का अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष में मिठाई और नमकीन का कुल कारोबार 1.25 लाख करोड़ रुपये के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच सकता है। फेडरेशन ऑफ स्वीट्स एंड नमकीन मैन्युफैक्चरर्स के निदेशक फिरोज एच नकवी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘त्योहारी उल्लास से महामारी का ग्रहण हटने के बाद इस बार रक्षाबंधन पर मिठाई और नमकीन का कारोबार जबरदस्त रहा। गणेशोत्सव के दौरान मोदक और अन्य मिठाइयों की मांग बढ़ी है। यह सिलसिला दशहरा, दीपावली और होली तक जारी रहने की उम्मीद है।’’ बाजार के इस रुझान के मद्देनजर उन्होंने अनुमान जताया कि मौजूदा वित्त वर्ष में मिठाई और नमकीन का कुल कारोबार पिछले सारे आंकड़ों को पीछे छोड़ते हुए 1.25 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच सकता है, क्योंकि ग्राहकों द्वारा इन खाद्य पदार्थों की ऑनलाइन खरीद और घरों तक आपूर्ति भी बढ़ रही है।
मिठाई और नमकीन त्योहारों का अनिवार्य हिस्सा
आम आदमी की जेब पर महंगाई के असर के बारे में पूछे जाने पर नकवी ने कहा, ‘‘महंगाई के कारण लोग त्योहारों पर गहनों, कपड़ों और अन्य चीजों के खर्च में भले ही कटौती कर सकते हैं, लेकिन मिठाई और नमकीन त्योहारों का अनिवार्य हिस्सा हैं।’’ उन्होंने बताया कि महामारी की मार के चलते वित्त वर्ष 2020-21 में मिठाई-नमकीन उद्योग को करीब 35,000 करोड़ रुपये का घाटा झेलना पड़ा था और काराबोर घटकर 65,000 करोड़ रुपये पर सिमट गया था। नकवी ने कहा, ‘‘मिठाई-नमकीन उद्योग महामारी के झटकों से पिछले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में ही उबर गया था, जब 1.10 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। आम जन-जीवन पर महामारी की पाबंदियां बेहद कम रह जाने से अब कारोबार लगातार बेहतरी की ओर बढ़ रहा है।’’
काजू कतली की खाड़ी देशों में अच्छी मांग
बहरहाल, नकवी ने बताया कि भारत से हर साल केवल 2,000 करोड़ से 3,000 करोड़ रुपये की मिठाइयों का निर्यात हो पाता है, क्योंकि ब्रिटेन, कनाडा और न्यूजीलैंड सरीखे देशों को दूध से बनी मिठाइयां भेजने में ‘नियामक संबंधी अड़चनें’ हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को द्विपक्षीय बातचीत के जरिये ये अड़चनें दूर करनी चाहिए, जिससे घरेलू मिठाई निर्माताओं के साथ ही देश के दुग्ध उत्पादक किसानों को भी फायदा होगा। नकवी ने बताया कि भारत के मिठाई निर्यात में सूखे मेवों से बनी काजू कतली जैसी मिठाइयों की बड़ी हिस्सेदारी है, जिनकी खाड़ी देशों में अच्छी-खासी मांग है। फेडरेशन ऑफ स्वीट्स एंड नमकीन मैन्युफैक्चरर्स के मुताबिक, देश का मिठाई-नमकीन उद्योग संगठित और असंगठित तौर पर एक करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है।
भारत में हर साल 50,000 करोड़ रुपये का नमकीन बिकता है
महासंघ के अनुसार, भारत में हर साल तकरीबन 50,000 करोड़ रुपये का नमकीन बिकता है। नमकीन उत्पादन के मामले में इंदौर देश का अग्रणी केंद्र है, जहां इसकी करीब 1,500 छोटी-बड़ी इकाइयां हैं। शहर के नमकीन-मिष्ठान्न क्रेता एवं विक्रेता कल्याण संघ के सचिव अनुराग बोथरा ने कहा कि रक्षाबंधन के दौरान नमकीन की बिक्री बढ़ी है और दीपावली पर नमकीन के ऑर्डर में बड़े उछाल की उम्मीद है।
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