देश के धनकुबेरों के लिए 'अनलकी' साबित हुआ 2022, बेहद अमीर लोगों की संख्या 7.5% घटी
संपत्ति सलाहकार फर्म नाइट फ्रैंक ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि तीन करोड़ डॉलर से अधिक की हैसियत रखने वाले बेहद अमीर भारतीयों की संख्या वर्ष 2022 में 12,069 रही।
मंदी और डगमगाती वैश्विक अर्थव्यवस्था के चलते भारत में बेहद अमीर लोग कम हो रहे है! एक ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि 2022 का साल भारत के बेहद अमीर लोगों (Super Rich) के लिए अनलकी साबित हुआ है। भारत में बेहद अमीर लोगों की संख्या पिछले साल 7.5 प्रतिशत गिरकर 12,069 पर आ गई है, लेकिन अगले पांच साल में इसके फिर से बढ़कर 19,119 हो जाने की संभावना है।
संपत्ति सलाहकार फर्म नाइट फ्रैंक ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि तीन करोड़ डॉलर से अधिक की हैसियत रखने वाले बेहद अमीर भारतीयों की संख्या वर्ष 2022 में 12,069 रही। यह वर्ष 2021 की तुलना में 7.5 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है। हालांकि, सलाहकार फर्म ने ‘द वेल्थ रिपोर्ट 2023’ में कहा कि देश में बेहद अमीर लोगों की संख्या 2027 तक बढ़कर 19,119 हो जाने की संभावना है।
वहीं देश में अरबपतियों की संख्या अगले पांच वर्षों तक 195 तक पहुंचने की उम्मीद है। वर्ष 2022 में अरबपति भारतीयों की संख्या बढ़कर 161 हो गई जबकि 2021 में इनकी संख्या 145 रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 10 लाख डॉलर से अधिक संपत्ति वाले अमीर लोगों की संख्या बढ़कर पिछले साल 7,97,714 हो गई जबकि 2021 में इनकी संख्या 7,63,674 थी। अगले पांच साल में इस संख्या के बढ़कर 16,57,272 हो जाने की उम्मीद है।
रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर अत्यधिक धनवान लोगों की संख्या में 3.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जबकि इसके एक साल पहले 2021 में इनकी संख्या 9.3 प्रतिशत बढ़ी थी। पिछले साल भू-राजनीतिक अनिश्चितता रहने और आर्थिक मंदी के दुष्प्रभावों ने बेहद अमीर लोगों के लिए संपत्ति खड़ी करने के अवसरों पर असर डाला।
भारत में भी बेहद अमीर लोगों की संपत्ति पर इन कारणों से असर पड़ा और सालाना आधार पर इनकी संख्या 7.5 प्रतिशत गिर गई। बेहद अमीर भारतीयों की संपत्ति ब्याज दरों में बढ़ोतरी और रुपये के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने से भी प्रभावित हुई।
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, ‘‘हाल के समय में प्रमुख एवं गैर-प्रमुख क्षेत्रों में गतिविधियां तेज रहने से भारत की आर्थिक वृद्धि को गति मिली है। इसके अलावा भारत के एक वैश्विक स्टार्टअप केंद्र बनने से भी नई संपत्ति खड़ी हो रही है।’’