केंद्रीय इस्पात मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने बुधवार को कहा कि उनका मंत्रालय बढ़ते इस्पात आयात पर अंकुश लगाने के लिए नीतिगत उपायों पर विचार-विमर्श कर रहा है। इसमें न्यूनतम आयात मूल्य लागू करना और घरेलू उद्योग को संरक्षण देना शामिल है। भाषा की खबर के मुताबिक, इस्पात मंत्री ने स्वीकार किया कि इस्पात के आयात से निपटना मुख्य मुद्दा है और कहा कि घरेलू मिश्र धातु उद्योग को मजबूत करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
हम वित्त मंत्रालय को मना लेंगे
खबर के मुताबिक, इस्पात पर न्यूनतम आयात मूल्य की उम्मीद करने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि निश्चित रूप से, हम वित्त मंत्रालय को मना लेंगे। प्रारंभिक चर्चा पहले से ही जारी है। मुझे विश्वास है कि हम उद्योग को मना लेंगे। मजबूत करने के लिए हमें शुल्कों को कैसे लागू करना है, यह (निर्णय) हम लेंगे। उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड में जान फूंकने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसे अपने विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ विभिन्न दलों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
आरआईएनएल को पुनर्जीवित करने का प्रयास जारी
कुमारस्वामी ने कहा कि आरआईएनएल के समक्ष चुनौतियां हैं। पिछले डेढ़ साल से आरआईएनएल में विरोध प्रदर्शन जारी है, लेकिन मैं आरआईएनएल को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहा हूं। मैं इसे निराश नहीं करूंगा। इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री ने यहां एक कार्यक्रम से इतर ये टिप्पणियां की।
इस्पात की खपत 9-10% की दर से बढ़ेगी
चालू वित्त वर्ष में घरेलू स्तर पर इस्पात की खपत 9-10 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने हाल ही में एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में इस्पात की मांग मजबूत रही और प्रतिस्पर्धी मूल्य पर आयात के बीच खपत में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई। रेटिंग एजेंसी ने बयान में कहा कि इक्रा ने चालू वित्त वर्ष (2024-25) में घरेलू इस्पात खपत में 9-10 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है।
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