भारत स्टील निर्माण (Steel Production in India) के क्षेत्र में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है। अब दुनिया भर में स्टील कैपिटल बोला जाने वाला जापान भी हमसे पीछे छूट गया है। स्टील उद्योग अपनी इस सफलता के साथ ही देश के लिए बहुमूल्य विदेशी मुद्रा भी बचा रहा है। इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने बुधवार को कहा कि इस्पात क्षेत्र के लिए सरकार की नीतियों ने आयात में कमी लाकर देश का 34,800 करोड़ रुपये मूल्य की विदेशी मुद्रा बचाने के साथ लगभग छह करोड़ टन कच्चे इस्पात की क्षमता भी जोड़ी है।
उत्पादन के मामले में चीन ही हमसे आगे
सिंधिया ने ‘इस्पात क्षेत्र में सरकार की सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण के नौ वर्ष’ कार्यक्रम में कहा कि इस्पात उत्पादन में भारत ने जापान को पछाड़ते हुए दूसरा स्थान हासिल कर लिया है। भारतीय इस्पात क्षमता वर्ष 2014-15 में 10.98 करोड़ टन से 46 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 16.03 करोड़ टन हो गई है। कुल इस्पात उत्पादन भी 8.89 करोड़ टन से बढ़कर 12.62 करोड़ टन हो गया है। इस दौरान इस्पात की प्रति व्यक्ति खपत भी 60.8 किलोग्राम से 43 प्रतिशत बढ़कर 86.7 किलोग्राम हो गई है।
प्रति व्यक्ति खपत को दोगुना करने का है लक्ष्य
राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 के अनुसार, देश का लक्ष्य क्षमता 2030-31 तक बढ़ाकर 30 करोड़ टन और उत्पादन 25 करोड़ टन करने का है। जबकि प्रति व्यक्ति खपत का लक्ष्य 160 किलोग्राम करने का है। सिंधिया ने संवाददाताओं से कहा कि लौह एवं इस्पात उत्पादों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए लाई गई नीति से देश अब तक करीब 34,800 करोड़ रुपये का आयात कम करने में सफल रहा है। इससे देश की विदेशी मुद्रा में भी बचत हुई है।
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