मुंबई। देश में स्टार्टअप को मजबूती देने वाले माहौल की वजह से वर्ष 2022 के पहले तीन महीनों में भी 14 कंपनियां यूनिकॉर्न का दर्जा पाने में सफल रहीं। यह लगातार तीसरी तिमाही रही जब स्टार्टअप कंपनियों ने 10 अरब डॉलर से अधिक का वित्त जुटाया है। यूनिकॉर्न से आशय एक अरब डॉलर के अधिक के मूल्यांकन से है। सलाहकार एजेंसी पीडब्ल्यूसी इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाली यूनिकॉर्न कंपनियों के समूह में जनवरी-मार्च 2022 के दौरान 14 स्टार्टअप कंपनियां शामिल होने में सफल रहीं। इस तरह देश में मौजूद यूनिकॉर्न इकाइयों की संख्या बढ़कर 84 हो चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय स्टार्टअप कंपनियों ने 10.8 अरब डॉलर का वित्त जुटाया।
लगातार तीन महीने से 10 अरब डॉलर से ज्यादा फंडिंग
यह लगातार तीसरी तिमाही है जिसमें भारत की स्टार्टअप फर्म 10 अरब डॉलर से अधिक वित्त जुटाने में सफल रहीं। पीडब्ल्यूसी इंडिया की रिपोर्ट कहती है कि एक सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर (सॉस) से जुड़ी कंपनियों को सबसे ज्यादा वित्त मिला है। बीती तिमाही में इन कंपनियों को 3.5 अरब डॉलर से अधिक का कोष मिला। सॉस क्षेत्र की पांच कंपनियां जनवरी-मार्च तिमाही में यूनिकॉर्न का दर्जा पाने में भी सफल रहीं। पीडब्ल्यूसी इंडिया के स्टार्टअप प्रमुख अमित नावका ने कहा कि वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों में व्याप्त अनिश्चितताओं के बावजूद घरेलू स्टार्टअप इकाइयां पूंजी जुटाने में अब भी सफल हैं, खासकर वे वृद्धि के लिए पूंजी जुटा पा रही हैं।
कंपनी संचालन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत
हालांकि, उन्होंने कहा कि स्टार्टअप कंपनियों के परिपक्व होने के साथ ही अब उनके कारगर प्रशासन को लेकर चर्चाएं जोर पकड़ने लगी हैं। ऐसी स्थिति में स्टार्टअप फर्मों को अपनी वृद्धि आकांक्षाओं से मेल खाने वाले कंपनी संचालन की रूपरेखा तैयार करने पर ध्यान देना होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी-मार्च 2022 की अवधि में स्टार्टअप पारिस्थितिकी में विलय एवं अधिग्रहण के करीब 80 सौदे हुए। इनमें 38 फीसदी हिस्सा ई-कॉमर्स कंपनियों का रहा।
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