भारत के पड़ौसी देश श्रीलंका को लेकर जिस बात का डर था, वो आज हो गया। श्रीलंका ने अपने सभी बाहरी कर्ज से डिफॉल्ट करने की घोषणा कर दी है। इसका मतलब है कि श्रीलंका ने आधिकारिक रूप से कर्ज देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। बता दें कि श्रीलंका पर 51 अरब डॉलर का भारी भरकम कर्ज है। जिसमें करीब 36 फीसदी की हिस्सेदारी चीन की है।
संकट से जूझ रहे श्रीलंका ने मंगलवार को घोषणा की कि वह 51 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज में चूक करेगा। बता दें कि श्रीलंका ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से राहत पैकेज की मांग की है। श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने कहा कि कर्ज देने वाली विदेशी सरकारों सहित लेनदार मंगलवार दोपहर से किसी भी ब्याज भुगतान को भुनाने या श्रीलंकाई रुपये में भुगतान का विकल्प चुनने के लिए स्वतंत्र थे।
खाद्य उत्पादों, गैस, तेल एवं अन्य जरूरी चीजों की किल्लत और भारी बिजली कटौती से जूझ रहे श्रीलंका में इस समय लोग सड़क पर उतरकर विरोध जता रहे हैं। मुखर जन-विरोध की वजह से श्रीलंका सरकार के सभी मंत्रियों को पद छोड़ना पड़ा है और तमाम सांसदों ने भी राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का साथ छोड़ दिया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, श्रीलंका में विदेशों से कच्चे तेल की आपूर्ति एक अप्रैल से शुरू होनी थी लेकिन हालात की गंभीरता को देखते हुए मार्च के आखिरी हफ्ते में ही तेल की खेप पहुंचने लगी थी। भारत से तेल की अगली खेप अगले हफ्ते पहुंचने की उम्मीद है।
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