Sri Lanka में आसमान छूती महंगाई ने आम जनता पर बोझ कई गुना बढ़ा दिया है। दरअसल, कर्ज के बोझ तले दबे श्रीलंका में सभी जरूरी वस्तुओं की कीमत में 300 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। इससे महंगाई लगातार नया रिकाॅर्ड बना रही है। गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका में मुद्रास्फीति जुलाई महीने में बढ़कर 60.8 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गई। खाद्य उत्पादों एवं ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी जारी रहने से मुद्रास्फीति बढ़ी है। श्रीलंका के सांख्यिकीय विभाग ने शनिवार को जारी एक बयान में जुलाई के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि एक साल पहले की तुलना में इस महीने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 60.8 प्रतिशत पर पहुंच गई। एक महीना पहले जून में यह 54.6 प्रतिशत पर थी।
विदेशी मुद्रा भंडार नहीं होने से बढ़ा संकट
श्रीलंका में जरूरी वस्तुओं की खरीदारी के लिए भी समुचित विदेश मुद्रा नहीं होने से हालात काफी खराब हो चुके हैं। विदेशी मुद्रा भंडार के अभाव में खाद्य पदार्थों और ईंधन की कमी का संकट बना हुआ है। जनगणना एवं सांख्यिकीय विभाग ने कहा कि जुलाई में खाद्य मुद्रास्फीति सालाना आधार पर 90.9 प्रतिशत हो गई जबकि जून में यह 80.1 प्रतिशत रही थी। देश के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी का सिलसिला अभी जारी रहने के आसार हैं और यह 75 प्रतिशत के उच्च स्तर तक जा सकती है। श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट ने राजनीतिक अस्थिरता एवं जन असंतोष भी पैदा किया है। व्यापक विरोध-प्रदर्शन के बाद गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा और रानिल विक्रमसिंघ ने नए राष्ट्रपति के रूप में कमान संभाली है। विक्रमसिंघे के कार्यालय की तरफ से शुक्रवार को बताया गया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के साथ राहत पैकेज के मुद्दे पर बातचीत जारी है।
नीति लागू होने तक कोई नया वित्तपोषण नहीं
विश्व बैंक ने कहा कि संकटग्रस्त श्रीलंका को तब तक नया वित्तपोषण नहीं दिया जाएगा, जब तक कि वहां एक ‘पर्याप्त’ व्यापक आर्थिक नीति का मसौदा तैयार नहीं हो जाता है। इससे पहले एक अन्य वैश्विक वित्तीय निकाय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने श्रीलंका से कहा था कि वह चीन सहित अपने ऋणदाताओं के साथ कर्ज पुर्नगठन करे। इसके बाद ही उसे राहत पैकेज दिया जा सकता है। श्रीलंका अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जिसके कारण वहां ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुओं की भारी कमी हो गई है।
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