श्रीलंका इस समय मुश्किल आर्थिक हालात से गुजर रहा है। देश में तेल से लेकर सभी आवश्यक चीजों की कमी है। इस बीच भारत अपने इस पड़ौसी देश का सहारा बनकर सामने आया है। भारत सरकार की ओर से श्रीलंका को तेल एवं अन्य आवश्यक वस्तुएं खरीदने के लिए भारी मात्रा में कर्ज दिया गया है। लेकिन अभी भी हालात बेकाबू हैं।
इस बीच श्रीलंका के ताजा हालात पर नजर डालने के लिए भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन की अगुवाई में सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को श्रीलंका पहुंच रहा है। अपनी यात्रा के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल श्रीलंका की वित्तीय स्थिति का आकलन करने और यह समझने की कोशिश करेगा कि क्या इस देश को वित्तीय सहायता की एक और किस्त देने की जरूरत है।
तेल से लेकर दवा तक का संकट
श्रीलंका 1948 में अपनी आजादी के बाद से सबसे भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जिसके चलते वहां भोजन, दवा, रसोई गैस और ईंधन जैसी आवश्यक वस्तुओं की भारी किल्लत हो गई है। श्रीलंका का कुल विदेशी कर्ज 51 अरब डॉलर है। डेली मिरर अखबार के अनुसार नागेश्वरन के नेतृत्व वाला प्रतिनिधिमंडल तीन घंटे तक देश में रहेगा और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के साथ बातचीत करेगा।
सीतारमण से मिल चुके हैं श्रीलंकाई दूत
रिपोर्ट में कहा गया कि यह यात्रा 20 जून को नई दिल्ली में श्रीलंकाई दूत मिलिंडा मोरागोडा की विदेश मंत्री एस जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ हुई बैठकों के बाद तय हुई। यहां भारतीय उच्चायोग के अनुसार भारत की ओर से लगभग 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर की आर्थिक सहायता दी गई है।
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