सीतारमण ने एआईआईबी से भारत में निवेश करने का किया आग्रह, जानिए क्यों?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एआईआईबी से भारत में निवेश करने का आग्रह किया है। ऐसा उन्होनें क्यों किया है पता चल गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) से भारत के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने और निजी वित्त जुटाने का आग्रह किया। जिन क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने का आग्रह किया गया है उनमें अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और जलवायु स्मार्ट प्रौद्योगिकी शामिल हैं। उन्होंने शुक्रवार को एआईआईबी के अध्यक्ष जिन लिकुन से मुलाकात के दौरान यह अनुरोध किया है।
एआईआईबी और भारत के लिए प्रस्तावित मुद्दों पर चर्चा की
सीतारमण ने बैंक के दूसरे सबसे बड़े शेयरधारक के गवर्नर के रूप में लिकुन से मुलाकात की। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों ने एआईआईबी और भारत के लिए प्रस्तावित मुद्दों पर चर्चा की। सूत्रों ने कहा कि चूंकि भारत एआईआईबी का सबसे बड़ा ग्राहक है, वित्त मंत्री ने बैठक के दौरान दोहराया कि उसे भारत में एक क्षेत्रीय उपस्थिति स्थापित करने के बारे में सोचना चाहिए ताकि परियोजना अधिकारियों तक संवाद और पहुंच की सुविधा मिल सके।
7वीं वार्षिक बैठक में हिस्सा लिया
भारत में एआईआईबी के बढ़ते पोर्टफोलियो की सराहना करते हुए, सीतारमण ने सुझाव दिया कि इसे नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु प्रौद्योगिकियों जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश बढ़ाना चाहिए। इससे पहले 26 अक्टूबर को, वित्त मंत्री ने एआईआईबी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की 7वीं वार्षिक बैठक में हिस्सा लिया था, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि बैंक भारत के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में निवेश में तेजी लाएगा।
भारत के सामने कई आर्थिक चुनौतियां
दुनिया इस समय गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है। भारत के सामने भी इस समय कई आर्थिक चुनौतियां हैं। इस मुश्किल दौर के बीच सरकार एक बार फिर अगले साल का बजट तैयार करने में जुट गई है। इस बीच वित्त वर्ष 2023-24 के बजट की तैयारी के क्रम में सरकार ने विभिन्न उद्योग एवं व्यापारी संगठनों से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों के बारे में सुझाव मांगे हैं।
सरकार कर रही है विभिन्न पक्षों से बातचीत
विभिन्न पक्षों के साथ परामर्श का सिलसिला शुरू करते हुए वित्त मंत्रालय ने उद्योग एवं व्यापारी संगठनों से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों के बारे में सुझाव मांगे हैं। उद्योग संगठनों को अपने सुझावों के साथ ही उनके औचित्य का भी ब्योरा देना होगा। अगर इस औचित्य को गुणवत्तापरक पाया जाता है तो उसे अगले वित्त वर्ष के बजट में जगह दी जा सकती है। वित्त वर्ष 2023-24 का बजट अगले साल एक फरवरी को पेश किया जाएगा।