पिछली दिवाली से अब तक चांदी 42% से ज्यादा महंगी हुई, जानें अभी और कितनी बढ़ेगी कीमत
वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में जारी भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अस्थिरता का जोखिम भी निवेशकों को चांदी जैसी कीमती धातुओं की ओर आकर्षित कर रहा है।
चांदी की कीमत 1 लाख रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच चुकी है। पिछले एक साल में चांदी ने रिटर्न के मामले में सोने को भी पीछे छोड़ दिया है। अगर पिछली दिवाली से अब तक चांदी की कीमत में तेजी देखें तो करीब 42% से ज्यादा की वृद्धि हुई है। आपको बता दें कि पिछली दिवाली में चांदी की कीमत 71,000 रुपये प्रति किलोग्राम थी जो अब बढ़कर 1 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के करीब पहुंच चुकी है। इसकी तुलना में, पिछली दिवाली के बाद से राष्ट्रीय राजधानी में सोने की कीमतें 30% से अधिक बढ़कर 80,450 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई हैं। कमोडिटी मार्केट के एक्सपर्ट का कहना है कि चांदी की कीमत में जारी तेजी यही थमने वाली नहीं है। चांदी में अभी और तेजी होगी। आइए जानते हैं कि चांदी की कीमत कहां तक जा सकती है।
1.25 लाख रुपये प्रति किलोग्राम जा सकती है चांदी
HDFC सिक्योरिटीज के कमोडिटी और करेंसी हेड अनुज गुप्ता के अनुसार, साल 2011 में चांदी का ऑल टाइम हाई भाव 49.8 डॉलर था। अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी 34 डॉलर के आसपास ट्रेड कर रहा है। ऐसे में आने वाले महीने में चांदी में और तेजी बनी रहेगी। इंडस्ट्रियल मांग बढ़ने से चांदी की खपत बढ़ी है। इससे भी कीमत बढ़ेगी। चांदी को लेकर मेरा पहला टारगेट 1.10 लाख रुपये प्रति किलोग्राम और दूसरा टारगेट 1.25 लाख रुपये है। यह भाव अगले साल आने की उम्मीद है।
सोने का क्या है अगला टारगेट?
अनुज गुप्ता के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कॉमेक्स सोना 2,744.30 डॉलर प्रति औंस के करीब है। घरेलू बाजार की बात करें तो सोना 80,700 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर है। दिवाली तक और तेजी देखने को मिल सकती है। सोना का अगला टारगेट इस साल के अंत तक या नए साल में 83 से 85 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है। सोने में यहां से बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।
चांदी में बड़ी तेजी की वजह क्या है?
एक्सपर्ट का कहना है कि चांदी का इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर पैनल, बैटरी और सेमीकंडक्टर में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है, जिससे यह आधुनिक तकनीक का एक महत्वपूर्ण घटक बन गया है। फेडरल रिजर्व द्वारा एक और ब्याज दर में कटौती के साथ चांदी की बढ़ती औद्योगिक मांग के कारण इसकी कीमत में और तेजी आ सकती है। वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में जारी भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अस्थिरता का जोखिम भी निवेशकों को चांदी जैसी कीमती धातुओं की ओर आकर्षित कर रहा है।