भारत की कुल रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी इस साल अक्टूबर तक 13.5 फीसदी या 24.2 गीगावाट बढ़कर 203.18 गीगावाट हो गई है, जो पिछले साल इसी महीने में 178.98 गीगावाट थी। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा कि यह वृद्धि नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के अनुरूप है। बयान के अनुसार, परमाणु ऊर्जा सहित कुल गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता इस साल अक्टूबर में बढ़कर 211.36 गीगावाट हो गई है, जो 2023 की समान अवधि में 186.46 गीगावाट थी।
250.57 गीगावाट हो गई कुल सौर क्षमता
बयान में कहा गया, समीक्षाधीन अवधि में सौर क्षेत्र में 20.1 गीगावाट (27.9 प्रतिशत) की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। सौर ऊर्जा क्षमता बढ़कर 92.12 गीगावाट हो गई है, जो पिछले साल इसी महीने में 72.02 गीगावाट थी। कार्यान्वयन के अधीन और निविदा वाली परियोजनाओं सहित संयुक्त कुल सौर क्षमता अब अक्टूबर में 250.57 गीगावाट है, जो पिछले वर्ष इसी समय 166.49 गीगावाट थी। पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए स्थापित कुल क्षमता 7.8 प्रतिशत बढ़कर 47.72 गीगावाट हो गई। बयान के अनुसार, इस साल अप्रैल से अक्टूबर तक भारत ने 12.6 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता जोड़ी। अकेले अक्टूबर में 1.72 गीगावाट क्षमता स्थापित हुई जो अक्षय ऊर्जा की ओर त्वरित बदलाव को दर्शाता है।
इनोवेटिव फाइनेंसिंग मैकेनिज्म की जरूरत
नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने मंगलवार को नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वृद्धि की रफ्तार को बनाए रखने के लिए निजी क्षेत्र के मॉडल के तहत इनोवेटिव फाइनेंसिंग मैकेनिज्म की वकालत की। उन्होंने ‘राज्यों में हरित परिवर्तन’ पर एक संगोष्ठी में नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार में वित्तीय चुनौतियों का जिक्र किया। नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने सहकारी संघवाद की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्यों को राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुसार हरित बदलाव योजनाएं तैयार करने में ‘ऊर्जा रूपांतरण के लिए टिकाऊ समाधान को प्रोत्साहन’ प्लेटफॉर्म की महत्वूर्ण भूमिका है। बिजली सचिव पंकज अग्रवाल ने चरम मांग को पूरा करने के लिए भारत के ऊर्जा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के प्रयासों के बारे में बताया।
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