भारत में दूर होगा सेमीकंडक्टर संकट, यह विदेशी कंपनी देश में लगाएगी चिप मैन्युफैक्चरिंग प्लांट
फॉक्सकॉन ने कहा, ‘‘हम भारत के और विदेश के हितधारकों का स्वागत करेंगे। हम यह भी चाहते हैं कि भारत अगले स्तर तक जाए।’’
चिप संकट से आने वाले समय में आजादी मिलने का रास्ता साफ होता दिखाई दे रहा है। दरअसल, ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण कंपनी फॉक्सकॉन की भारत में सेमीकंडक्टर (चिप) विनिर्माण इकाई लगाने के लिए अलग से आवेदन करने की योजना है। कंपनी ने भारत के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए मंगलवार को यह जानकारी दी। कंपनी ने बयान में कहा कि वह सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले फैब कार्यक्रम के तहत प्रोत्साहनों के लिए आवेदन करने की योजना पर काम कर रही है। फॉक्सकॉन ने सोमवार को वेदांता के साथ सेमीकंडक्टर संयुक्त उद्यम से बाहर निकलने की घोषणा की थी। फॉक्सकॉन ने कहा था कि वह खनन क्षेत्र के दिग्गज उद्योगपति अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली वेदांता लि.के साथ 19.5 अरब डॉलर के संयुक्त उद्यम से बाहर निकल रही है।
कंपनी आवेदन करने के लिए काम कर रही
फॉक्सकॉन ने कहा, ‘‘हम भारत के और विदेश के हितधारकों का स्वागत करेंगे। हम यह भी चाहते हैं कि भारत अगले स्तर तक जाए।’’ भारत के लिए प्रतिबद्धता जताते हुए फॉक्सकॉन ने कहा कि वह सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले फैब पारिस्थितिकी तंत्र के संशोधित कार्यक्रम के तहत आवेदन करने के लिए काम कर रही है। फॉक्सकॉन ने कहा कि उसे भरोसा है कि भारत सफलता के साथ एक तेजतर्रार सेमीकंडक्टर विनिर्माण परिवेश स्थापित कर पाएगा। ‘‘इसमें समय लगेगा।’’ कंपनी ने कहा, ‘‘फॉक्सकॉन 2006 में भारत आई थी और आज भी है। हम देश के उभरते सेमीकंडक्टर उद्योग के साथ चलना चाहते हैं।’’
परस्पर सहमति से अलग होने का फैसला
वेदांता के साथ संयुक्त उद्यम से हटने के फैसले पर फॉक्सकॉन ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों में इसको लेकर परस्पर सहमति थी। यह नकारात्मक नहीं है। दोनों पक्ष इस बात को जान रहे थे कि परियोजना तेजी से आगे नहीं बढ़ पा रही है। हम चुनौतियों से सुगमता से पार नहीं पा सके। इसके अलावा परियोजना से संबंधित कुछ बाहरी मुद्दे भी थे।’’ इस तरह की खबरों कि यह समूह के निवेश को लेकर नकारात्मक उदाहरण पेश करता है, कंपनी ने कहा कि यदि हम कुछ ठीक करना चाहते हैं तो इसे गंभीर विचार-विमर्श और हमारे अंशधारकों पर पड़ने वाले निकट अवधि के प्रभाव की समीक्षा करने के बाद किया जाता है। इसके अलावा हम दीर्घावधि में समूह और अपने शेयरधारकों को ध्यान में रखकर कोई फैसला करते हैं।