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IPO के लिए आने वाला है नया नियम, खबर पढ़कर आप भी झूम उठेंगे

दुनिया भर में पहली बार भारतीय बाजार में लिस्टिंग के समय को 3 दिन तक कम करने का निर्णय लिया गया है। इससे निवेशकों को पैसा अटकने के झंझट से निजात मिलेगी।

IPO- India TV Paisa Image Source : FILE IPO

शेयर बाजार (Stock Market) के प्राथमिक बाजार, यानि आईपीओ मार्केट (IPO Market) को लेकर बड़ी खबर है। अब IPO में पैसा लगाने के बाद निवेशकों को शेयरों की लिस्टिंग के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने पब्लिक इश्यू के शेयरों की लिस्टिंग के लिये समय अवधि मौजूदा छह दिन से घटाकर तीन दिन करने समेत कई प्रस्तावों को बुधवार को मंजूरी दी। नियामक के इस कदम से निर्गम जारीकर्ता को उनका कोष प्राप्त करने और आवंटियों को प्रतिभूति हासिल करने में कम समय लगेगा। 

अब सिर्फ 3 दिनों में लिस्ट होंगे शेयर 

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के निदेशक मंडल की की यहां हुई बैठक में कुल सात प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी। नियामक ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘संशोधित टी+3 (निर्गम बंद होने के दिन से तीन दिन) दिनों की संशोधित समयसीमा दो चरणों में लागू की जाएगी। एक सितंबर, 2023 को या उसके बाद खुलने वाले सभी सार्वजनिक निर्गमों के लिये यह स्वैच्छिक होगा और एक दिसंबर, 2023 को या उसके बाद के निर्गमों के मामले में यह अनिवार्य होगा।’’ 

दुनिया का पहला देश बनेगा भारत 

सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने कहा कि सूचीबद्धता के समय को तीन दिन तक कम करने का निर्णय ‘वैश्विक स्तर पर पहली बार है और मुझे यकीन है कि इसमें कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि सभी बाजार प्रतिभागियों ने इसका परीक्षण कर लिया है।’ सेबी ने कहा कि यह निर्णय बड़े निवेशकों, रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंटों, ब्रोकर-वितरकों और बैंकों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद लिया गया है। 

FPI के लिए भी नए नियम जारी 

निदेशक मंडल ने सार्वजनिक निर्गमों में शेयरों की सूचीबद्धता की समयावधि को निर्गम बंद होने (टी) की तारीख से मौजूदा छह दिनों से घटाकर तीन दिन करने को मंजूरी दी है। इसके साथ, सेबी ने पारदर्शिता बढ़ाते हुए कुछ श्रेणी के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिये खुलासा जरूरतों को बढ़ाने का निर्णय लिया है। नए नियम ऐसे एफपीआई के लिए लागू होंगे, जो एक ही कॉरपोरेट समूह में हिस्सेदारी को केंद्रित करते हैं। इस कदम का उद्देश्य भारतीय कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण के जोखिमों से बचाने के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) आवश्यकताओं की संभावित हेराफेरी और एफपीआई मार्ग के संभावित दुरुपयोग को रोकना है। 

सेबी के अन्य प्रमुख फैसले

  • सेबी के फैसलों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिये अतिरिक्त खुलासों की जरूरत तथा बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट) एवं रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) के यूनिटधारकों के लिये निदेशक मंडल में नामांकन अधिकार पेश करना शामिल हैं। सेबी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए खुलासा आवश्यकताओं को भी बढ़ाएगा। इसके तहत कुछ मानदंडों और शर्तों को पूरा करने वाले एफपीआई के स्वामित्व, आर्थिक हित और नियंत्रण के संबंध में अतिरिक्त खुलासे को अनिवार्य करना शामिल है। 
  • नियामक स्कोर्स (सेबी शिकायत निपटान प्रणाली) के माध्यम से निवेशक शिकायत प्रबंधन तंत्र को मजबूत करेगा और नये मंच को ऑनलाइन विवाद समाधान व्यवस्था से जोड़ेगा।

(PTI Input) 

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