भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने स्मॉल और मीडियम रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट यानी एसएम आरईआईटी के नियम जारी कर दिए हैं। सेबी के इस कदम के बाद छोटे और मध्यम साइज के आरईआईटी भी बाजार में आ सकेंगे और निवेशकों को रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश के अधिक मौके मिलेंगे।
छोटी आरईआईटी को निवेशकों को मिलेंगे ज्यादा मौका
एसएम आरईआईटी को अनुमति मिलने के बाद अब 50 करोड़ रुपये के इश्यू वाले आरईआईटी भी बाजार में आ सकते हैं। नियमों के मुताबिक, एसएम आरईआईटी में कम से कम 200 निवेशक होने चाहिए। इन फंड्स का रियल एस्टेट एसेट्स का प्रबंधन करने और निवेशकों के लिए इनकम जुटाने के लिए किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, एसएम आरईआईटी लाने के लिए कम से कम 20 करोड़ की एसेट्स होनी चाहिए। इसके अलावा आरईआईटी की मैनेज करने के लिए एक अलग से ट्रस्टी होना चाहिए। एसएम आरईआईटी को लिस्ट कराने का तरीका काफी हद तक लार्ज आरईआईटी की तरह ही होगा। लेकिन इसमें लार्ज आरईआईटी के मुकाबले अंतर यह है कि एसएम आरईआईटी में 95 प्रतिशत एसेट्स पूरी तरह विकसित होनी चाहिए। वहीं, लार्ज आरईआईटी में यह 80 प्रतिशत है।
10 लाख होगी सब्सक्रिप्शन राशि
एएम आरईआईटी में निवेशकों के लिए न्यूनतम सब्सक्रिप्शन 10 लाख रखना होगा। यह मौजूदा मानदंड के विपरीत है जहां आंशिक प्लेटफार्मों को अक्सर लगभग ₹ 25 लाख के निवेश की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, निवेश प्रबंधक को प्रत्येक योजना में कुल बकाया इकाइयों का न्यूनतम 5% दो साल की अवधि के लिए, लिस्टिंग के बाद चौथे वर्ष से शुरू करके, पांचवें वर्ष के अंत तक बनाए रखना अनिवार्य है। यह सेबी परामर्श पत्र द्वारा प्रस्तावित 15% से कम है।
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