SBI ग्राहकों को लगा तगड़ा झटका, सभी प्रकार के कर्ज के लिए MCLR में की बढ़ोत्तरी
यदि आप भी भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के ग्राहक हैं तो यह खरबर आपको परेशान कर सकती है। आपको बैंक की ओर से महंगाई का एक और बड़ा तोहफा मिला है।
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के ग्राहकों को मंगलवार को तगड़ा झटका लगा है। बैंक के ताजा फैसले का सीधा असर बैंक से कर्ज लेने वाले लोगों पर पड़ा है। बैंक ने होम और कार सहित सभी प्रकार के लोन की किस्तों को महंगा कर दिया है। दरअसल बैंक ने विभिन्न अवधि के लिए कर्ज को लेकर फंड की मार्जिनल कॉस्ट बेस्ड लेंडिंग रेट्स यानि एमसीएलआर में बढ़ोत्तरी कर दी है। बैंक ने इसमें 0.15 प्रतिशत तक की वृद्धि की है।
बैंक के इस फैसले का असर बैंक के मौजूदा और नए सभी ग्राहकों को झेलना पड़ेगा। इससे ज्यादातर उपभोक्ता कर्ज महंगे हो जाएंगे। नई दरें 15 नवंबर, 2022 से लागू होंगी। बता दें कि रिजर्व बैंक ने 30 सितंबर को अपनी मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट को 50 बेसिस पॉइंट बढ़ा दिया था।
जानिए कितना बढ़ा MCLR
एसबीआई की वेबसाइट पर डाली गई अधिसूचना के अनुसार, एक साल की एमसीएलआर को 0.10 प्रतिशत बढ़ाकर 8.05 प्रतिशत किया गया है। अभी तक यह 7.95 प्रतिशत थी। एक साल की एमसीएलआर के आधार पर ही आवास, वाहन और व्यक्तिगत ऋण की दरें तय होती हैं। दो साल और तीन साल की एमसीएलआर को भी 0.10 प्रतिशत बढ़ाकर क्रमश: 8.25 और 8.35 प्रतिशत किया गया है। एक माह और तीन महीने की एमसीएलआर को 0.15 प्रतिशत बढ़ाकर 7.75 प्रतिशत कर दिया गया है। छह माह की एमसीएलआर 0.15 प्रतिशत बढ़ाकर 8.05 प्रतिशत तथा एक दिन की 0.10 प्रतिशत बढ़ाकर 7.60 प्रतिशत की गई है।
बैंकों की ऋण वृद्धि 15 प्रतिशत रहेगी: क्रिसिल
क्रिसिल की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष में अब तक ऋण वृद्धि करीब 18 प्रतिशत रही है जो इसका एक दशक का उच्चस्तर है। मौजूदा वित्त वर्ष के अलावा अगले वित्त वर्ष में भी ऋण वृद्धि 15 प्रतिशत पर रहने की संभावना है। रिपोर्ट के मुताबिक, बड़े ऋणदाताओं के पास कर्ज लेने के लिए कंपनियों की कतार देखी गई है। पूंजीगत व्यय के अलावा कार्यशील पूंजी जुटाने के लिए भी कंपनियां बैंकों के पास कर्ज के लिए पहुंच रही हैं। इसकी वजह यह है कि अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर रहने से उन्हें मांग बढ़ने की उम्मीद है। दूसरी तिमाही में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की कॉरपोरेट ऋण बिक्री में 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इस दौरान निजी क्षेत्र के भी तमाम बैंकों के कॉरपोरेट ऋण आवंटन में तेजी देखी गई।